ट्विन टावर ध्वस्तीकरण होने के बाद मलबा बना चुनौती, कैसे होगा निस्तारण, योजना तैयार
नोएडा: भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी की गई देश की सबसे ऊंची इमारत को आखिरकार विस्फोटक लगाकर ध्वस्त कर दिया गया है. इस मलबे को देख आसपास के रहने वाले लोग भी खुश होंगे कि भ्रष्टाचार के इन दोनों टावरों को गिरा दिया गया है, लेकिन ढेर हो चुकी इन दोनों ट्विन टावर से निकले 80 हजार मीट्रिक टन मलबे का निस्तारण कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. लेकिन इस मलबे को उठाने के दौरान कई प्रकार के अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है. दावा किया गया है कि तीन माह के भीतर मलबे का निस्तारण कर दिया जाएगा।
प्राधिकरण प्राधिकरण के अधिकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सीबीआरआई और एडिफिस इंजीनियरिंग के अधिकारियों ने इस बारे में मंथन करने के बाद यहां निकलने वाले मलबा पर पर जो निर्णय लिया है उसके अनुसार 80 हजार मीट्रिक टन मलबा में 4 हजार टन सरिया और स्टील होगी, जिसे अलग किया जाएगा. यह करीब 30 हजार टन बेसमेंट को भरने में प्रयोग होगा. इस टावर को विध्वंस करने के बाद 28 हजार मैट्रिक टन सीएनडी मलबा मानकों के अनुसार प्राधिकरण के सेक्टर अस्सी स्थित सीएनडी वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट में साइंटिफिक ढंग से निस्तारण हेतु पहुंचाया जाएगा
ये फैसला लिया गया है कि सेक्टर-80 में प्राधिकरण का सीएंडडी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है. इसकी क्षमता रोजाना की 3 सौ मीट्रिक टन की है. यहां डंपर से मलबे को लाकर निस्तारित कराया जाएगा. इससे यहां रि-साइकिल कर सीमेंट और टाइल्स बनाई जाएंगी. दोनों ही तरीकों से करीब 20 डंपर रोजाना मलबे को लेकर जाएंगे. बताया गया कि प्राधिकरण ने सीएंडडी वेस्ट प्लांट को लेकर हरी झंडी दी है. दावा किया गया है कि तीन माह के भीतर मलबे का निस्तारण कर दिया जाएगा।