विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत शारदा ने किया ग्रामीण महिलाओं को किया जागरूक
शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ मेडिकल साइंसेस एंव रिसर्च के सामुदायिका चिकित्सा विभाग ने विश्व स्तनपान सप्ताह के उपलक्ष में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन घंघोला गांव एंव गेझा शहरीकरत गांव में किया गया जिसमें अनेक महिलाओं एंव पुरूषों ने हिस्सा लिया जिसमें महिलाओं को स्तनपान संबंधित जानकारी एंव महत्व बताया गया।
इस मौके पर स्कूल आॅफ मेडिकल साइंसेस एंव रिसर्च के सामुदायिका चिकित्सा विभाग की विभाग अध्यक्ष डाँ शालिनी श्रीवास्तव ने कहा कि स्तनपान मातृव के अनुभव का एक अहम अंग है हालांकि इस चरण में पहली बार मां बने वाली महिलाओं के मन में अनेक प्रकार की आशंकाएं होती है। ऐसे समय में जरूरी है की माताओ को अच्छी तरह से खान पान का ध्यान रखना चाहिए और हाइड्रेट रहना चाहिए। डाँ श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि पाउडर का दूध बच्चे की सेहत के लिए अच्छा नही होता है वही मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान माना जाता है। बच्चे को 6 माह तक मां का दूध ही देना चाहिए इसे बच्चा भी कई बीमारियों से बचा रहता है। इसके साथ साथ स्तनपान कराने वाली मां का वजन भी पहले की तरह सामान्य हो जाता है और स्तन कैंसर जैसी बीमारी से बचा जा सकता है।
कार्यक्रम के आयोजन पर शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल आॅफ मेडिकल साइंसेस एंव रिसर्च की डीन डाँ मनीषा जिंदल ने बधाई देते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और इसके प्रति जागरूक होना आवश्यक है। बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना चाहिए और 6 महिने तक जारी करना चाहिए। यह दोनों मां एंव बच्चे के लिए लाभदायक होता है।
जागरूकता कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई महिला राधा ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से स्तनपान से जुड़ी गलत धारणाए आज स्पष्ट हो गई। यही नही उन्हे इस बात की भी जानकारी मिली की स्तनपान से मां तनावमुक्त महसूस करती है।
इस मौके पर शारदा स्कूल आॅफ मेडिकल साइंसेस एंव रिसर्च के छात्रों ने गांव वालों को संदेश देने के लिए नाटक की प्रस्तुति दी और पोस्टर के माध्यम से स्तनपान के बारे में जागरूक किया। इस अवसर पर विभाग के प्रोफसेर डाँ हर्ष महाजन, डाँ अंबरीन चैहान, डाँ हिमांषु शेखर , डाँ प्रेरणा सहित शारदा विश्वविद्यालय के अनेक शिक्षकगण उपस्थित थे।