आईएचजीएफ मेले में NORTH EAST और जोधपुर शिल्प समूह के उत्पादों पर फोकस
ग्रेटर नोएडा: भारत का NORTH EAST क्षेत्र पर्यावरण अनुकूल शिल्प के मामले में सबसे अमीर इलाकों में से है। पूर्वोत्तर के राज्य. असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा अपनी प्रचुर प्राकृतिक वस्तुएं जैसे बेंतए बांस, लकड़ी, रेशम, बसंल, प्राकृतिक फाइबर इत्यादि के लिए जाने जाते हैं। इस क्षेत्र के शिल्पकारों द्वारा संरक्षित अद्वितीय शिल्प कला पीढ़ियों से चली आ रही है और उन्होंने अपनी कला की गुणवत्ता को और निखारने के लिए आधुनिक टिकाऊ प्रौद्योगिकी का सुंदर उपयोग किया है. भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र बड़ी संख्या में जनजातियों और उप.जनजातियों का घर हैए जो करीब 450 विभिन्न समुदायों से प्राकृतिक और हस्तनिर्मित निर्यात वस्तुओं को लाते हैं।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने कहा, NORTH EAST राज्यों से 2016-17 के दौरान निर्यात 1278. 93 करोड़ रुपये था और जिसे कारीगरों, शिल्पकारों और पूर्वोत्तर राज्यों के उत्पादकों को एक प्लेटफॉर्म प्रदान कर और बढ़ाया जा सकता है।
20 निर्यातक, उद्यमी और शिल्पकार एक विशेष थीम पवेलियन में इस क्षेत्र के हस्तशिल्प की एक पूरी श्रृंखला का प्रदर्शन कर रहे हैं। जैसे जलकुंभी, मूगा रेशम और ERI रेशम के अलावापर बेंत एवं बांस से निर्मित उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैंण् विदेशी खरीदारए जो अपने बिजनेस के लिए इस क्षेत्र से उपलब्ध संभावनाओं से अवगत नहीं थेए इस विशेष पवेलियन में खासी रुचि ले रहे हैं।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक ने आगे कहा कि जोधपुर मेगा समूह से भी एक विशेष थीम पवेलियन लगाया गया है जिसमें, चमड़े की कढ़ाईए सींग, टाई एवं डाइ शिल्प, कढ़ाई एवं ऐप्लीकए हाथ ब्लॉक छपाई , पंजा दरी, धातु कला उत्पाद और काष्ठ शिल्प के 10 कारीगर अपनी शिल्प कला प्रदर्शित कर रहे हैं ।
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने कहा, ईस अंतरराष्ट्रीय भागीदारी से निश्चित रूप से इस क्षेत्र के छोटे और नए उद्यमियों के मनोबल को बढ़ावा मिलेगा और अन्य लोगों को उत्पाद डिजाइन और अपने नवीन प्रयासों को आगे ले जाने की दिशा में प्रोत्साहन मिलेगा ताकि वो अंतरराष्ट्रीय खरीद समुदाय से जुड़ सकें।