एनआईईटी ग्रेटर नोएडा  नोडल सेंटर पर ट्वायकैथान-2022 में प्रतिभागियों के बीच कांटे की टक्कर। प्रत्येक विजेता टीम को मिला रु 25000 ईनाम

टॉयकैथान-2022 फिजिकल एडिशन के नोडल सेंटर एनआईईटी ग्रेटर नोएडा में फाइनल राउंड में 32 टीमों के बीच कांटे की टक्कर देखकर निर्णायक मण्डल भी हैरान हैं। प्रतिभागियों ने भारतीय संस्कृति, सभ्यता, पौराणिक कथाओं, लोकनीति, इतिहास, वैदिक गणित, महापुरुषों, प्रमुख घटनाओं आदि पर आधारित एक से बढ़कर एक खिलौने और खेल बनाए हैं।

इस अवसर पर एनआईईटी के मैनेजिंग डाइरेक्टर डॉ ओ पी अग्रवाल ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता की सफलता उसके प्रतिभागियों पर निर्भर करती है। इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु, तेलंगाना, वेस्ट बंगाल, उत्तराखंड तथा यूपी से 32 टीमों ने कड़ा संघर्ष किया है और विजेताओं को चुनना निर्णायक मण्डल के लिए बड़ा कठिन रहा। उन्होने कहा कि ये सभी बच्चे बधाई के पात्र हैं, जो जीते हैं वो भी और जो जीत नहीं पाये वो भी बधाई के पात्र हैं क्यूंकि प्रतियोगिता में भाग लेना ही साहस की बात है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर डॉ राकेश गुप्ता, निदेशक, जिम्स, ग्रेटर नोएडा ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। उन्होने जीवन में कठिन परिश्रम, पक्का इरादा और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को ही जीवन का सार बताया। उन्होने आगे कहा कि निश्चित रूप से ये प्रतिभागी देश के विकास की नयी परिभाषा लिखने की क्षमता रखते हैं। एक डॉक्टर होने के नाते मैं यह समझ सकता हूँ कि लगातार 36 घंटे काम करके इन प्रतिभागियों ने अपनी लगन और समर्पण का जो परिचय दिया है वो काबिले तारीफ है।

भारत सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ के एलंगोवन ने संस्थान के योगदान की भूरि-भूरि प्रसंशा की। उन्होने निर्णायक मण्डल का आभार व्यक्त किया और विजेता टीमों की घोषणा की

07 टीमों को विजेता घोषित किया गया जिसमें सरी रामा कृष्णा इंजीनीयरिंग कॉलेज, तमिलनाडु की टीम सत्या भारत , कलाईगनर करुणानिधि इंस्टीट्यूट इफ टेक्नालजी, तमिलनाडु की टीम वी द कितीयन्स, केजी कॉलेज ऑफ आर्ट्स अँड साइन्स , तमिलनाडु की टीम ई एफ एनवाइरो, सोना कॉलेज ऑफ टेक्नालजी, तमिलनाडु  की टीम स्क्तियंस, नेताजी सुभाष इंजीन्यरिंग कॉलेज  पश्चिम बंगाल की टीम आईरिस, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड की तं मतरिक्ष औटलिएर्स तथा वुमेन क्रिश्चियन कॉलेज चेन्नई की टीम जंस वरिओर्स शामिल हैं । इन सभी टीमों को रु 25000 का नकद पुरुषकार भारत सरकार की ओर से दिया गया । एनआईईटी संस्थान के मैनेजिंग डाइरेक्टर डॉ ओ पी अग्रवाल ने सभी विजेता  टीमों को रु 5000 का नकद पुरुषकार एनआईईटी संस्थान की ओर से प्रदान किया।

टॉयकैथान-2022 के एनआईईटी ग्रेटर नोएडा नोडल सेंटर के स्पोक डॉ प्रवीण पचौरी ने बताया कि स्वर्णा कॉलेज ऑफ तमिलनाडु से आई टीम ने चिरंजीत राघव के नेतृत्व में दिव्यांगजनों के लिए विशेष खेल का निर्माण किया, जिसमे मैकेनिकल, और सॉफ्टवेयर के संयोग से ऐसा खेल विकसित किया है जिसे दृष्टिहीन, मूक तथा शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे तथा बड़े सभी खेल सकते हैं और खेल के माध्यम से उनकी बौद्धिक तथा शारीरिक क्षमताओं को विकसित किया जा सकता है। यह खेल विशेष रूप से गंभीर मरीजों  की स्वास्थ्य सुधार की दर को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगा। बन्नारी अम्मान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, तामिलनाडु की टीम ने मेंटर करथीकमानी के मार्गदर्शन में ऐसा खेल विकसित किया है जिसमें बच्चे तमिल भाषा के साथ अन्य भाषाओं को खेल खेल में सीख सकते हैं। इसी कॉलेज की दूसरी टीम ने मेंटर कलईयारासी के मार्गदर्शन में एक ऐसा तोता विकसित किया है जो बच्चों को भारतीय संस्कृति तथा जीवन के सिद्धान्त सीखने में मददगार होगा।

तमिलनाडु से ही आई कुमार गुरु कॉलेज ऑफ टेक्नॉलॉजी की टीम ने मेंटर निरोश कुमार मार्गदर्शन मैं एक ऐसा खिलौना विकसित किया है जो खेल खेल में बच्चों को भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों से परिचित करा सके। चेन्नई की वूमेंस क्रिश्चियन कॉलेज  की टीम ने ऐसा खेल विकसित किया है जिससे बच्चे खेल खेल में भारत के महापुरुषों के योगदान के बारे में जान सके और प्रेरणा लेकर देशभक्ति की भावना के साथ आगे बढ़ें।

वीआईटी, चेन्नई की टीम टच-मी-नॉट ने ऐसी इलेक्ट्रानिक गुड़िया का निर्माण किया है जो अच्छे और बुरे स्पर्श के अंतर को अल्प आयु से ही बच्चों को समझने में सहायक हो सकती है। यह गुड़िया छूते ही स्पर्शकर्ता  के साथ संवाद कर उसे गलती का एहसास कराती है। मीनाक्षी सुंदरराजन इंजीनियरिंग कॉलेज, चेन्नई के विद्यार्थियों ने जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सामंजस्य की भूमिका को समझाने के लिए एक ऐसा खेल विकसित किया है जिससे मनुष्य जीवन के विभिन्न आयामों का संतुलित रूप से आनंद ले सके।

सेंट पायस डिग्री एंड पीजी कॉलेज वुमन, तेलंगाना से आई टीम इन्नोवेटिव योरसेल्फ ने आठ शास्त्रीय और डेढ़सौ लोक नृत्य पर आधारित एक ऐसा खेल विकसित किया है जो बच्चों तथा युवाओं के जीवन में नृत्य के प्रति जुड़ाव पैदा कर सके।  पश्चिम बंगाल की एकेडमी ऑफ टेक्नोलोजी से आई टीम ने डॉ झुम्बा के मार्गदर्शन में नृत्य आधारित पहेली खेल बनाया है जो नृत्य को हस्तशिल्प की विरासत से जोड़ता है। टीम का मानना है कि यदि शास्त्रीय नृत्य नहीं रहेंगे तो बहुत सारे हस्तशिल्प उद्योग बंदी की कगार पर आ जायेंगे।

तेलंगाना के सुल्तान-उल-उलूम कॉलेज ऑफ फार्मेसी की टीम ने डॉ सय्यद ज़फ़र और अमातुल रऊफ काज़ी के मार्गदर्शन में भारत के प्राचीन खेलों के संवर्धन से ऐसा नया बहु-आयामी खेल विकसित किया है जो प्राथमिक शिक्षा में बच्चों की तार्किक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आई तीर्थांकर महाविद्यालय की टीम ने श्री रूपल गुप्ता के मार्गदर्शन में दृष्टिहीन विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा खिलौना विकसित किया है जो खेल खेल में उनके ब्रेल लिपि के वर्णों के क्रम को समझने में सहायता करेगा।

कोलकाता के नेताजी सुभाष इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ने अनिमेष भट्टाचार्य के मार्गदर्शन में सरगम नाम का एक ऐसा खिलौना विकसित किया है जो पूर्णत: बधिर लोगों को भी सात स्वरों का आभास करा सके, जिसके लिए उन्होने तरंगों तथा प्रकाश का सहारा लिया है। यह बहुत छोटे मूक बधिर बच्चों के लिए अधिगम उपकरण का कार्य करेगा। बीवीराजू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी, हैदराबाद से आई टीम ने मेंटर आशारानी और सुब्रमनियन राजू के मार्गदर्शन में स्वच्छ भारत मिशन को नया आयाम देने के लिए ऐसा खिलौना विकसित किया है जिसमे कहानियों के माध्यम से स्वच्छ रखने का  महत्त्व समझाया जा सके।

कोयंबटूर के कलईगनर करुणानिधि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी की टीम ने मोहम्मद अरसाक के मार्गदर्शन में दृष्टिविहीन बच्चों के लिए एक ऐसी स्मार्ट ब्लाइंड स्टिक विकसित की है जो उन्हे लोगों को भारत के पूर्वजों, देशभक्तों और सैनिकों के गौरवपूर्ण बलिदान से परिचित करा सके। यह छड़ी इसके साथ बाधाओं को पहचानने, स्वास्थ्य  केएस ध्यान रखने और मार्ग चुनने में भी सहायक होगी। कोयंबटूर के रामकृष्ण इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ने मेंटर पद्मावती के मार्गदर्शन में स्मार्ट ग्लव्ज़ आधारित एक ऐसा खिलौना विकसित किया जो मूक बधिर विद्यार्थियों को सामान्य बच्चों के साथ संवाद स्थापित करने में सहायक होगा। यह खिलौना सांकेतिक भाषा को ध्वनि एवं शब्दों में बदल सकता है।

आंध्र प्रदेश के आईआईआईटीडीएम कुरनूल की टीम यांत्रिक अन्वेष ने लेविटेशन तथा घूर्णन के सिद्धान्त को समझाने के लिए एक खिलौना विकसित किया है जो बच्चों को इससे जुड़े सिद्धांतों को समझने में सहायक होगा। तमिलनाडु से आई स्टार्ट-अप टीम ज्योति ओवेरसीज ने बच्चों को बाल यौन अपराध के प्रति सजग करने के किए एक खिलौना विकसित किया है।

इस अवसर पर एआईसीटीई से श्री उद्यन मौर्या संस्थान के श्री प्रवीण सोनेजा, डॉ बी सी शर्मा, डॉ पवन शुक्ला, डॉ वी के पांडे,प्रो मयंकदीप खरे, प्रो हर्ष अवस्थी, डॉ मनीष कौशिक, प्रो कनिका जिंदल, प्रो संजय कुमार, डॉ सी एस यादव, डॉ रितेश रस्तोगी, प्रो अलका सिंह, प्रो राकेश कुमार सिंह, श्री संजीव गुप्ता, डॉ के पी सिंह, डॉ अंशुमन सिंह आदि लोग उपस्थित रहे ।

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