साइबर क्राइम थाना पुलिस के हत्थे चढ़े साइबर ठग, एप के जरिए लाखों का चूना लगाया था
नोएडा के थाना साइबर क्राइम ने साइबर ठगी करने वाले दो ठगों को गिरफ्तार कर ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो गूगल पर बैंक के फर्जी टोल फ्री नम्बर पोस्ट कर रखा था । जब किसी बैंक ग्राहक का पैसा ट्रांसक्शन के दौरान फंस जाता तो वो गूगल से जाकर टोल फ्री नंबर खोजता। दुर्भाग्य से ग्राहक को ठगों द्वारा पसत फर्जी मिलता। ग्राहक भी बिना कंचे इनके नंबर पर कॉल कर डालता जिसके बाद ये Quick Support App इंस्टाल कराते और फिर ग्राहक के खाते में पड़े रुपए को अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते। अबतक इन्होंने करीब 150 लोगों को खाता खुलाकर उनके डेविट कार्ड व सहायता के नाम पर करीब 35 से 40 लाख रुपए की ठगी कर चुके है। पुलिस ने इनके पास से 10 विभिन्न बैंकों के डेविड कार्ड सहित तीन मोबिइल बरामद किए है।
साइबर थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया बीते 28 जनवरी को स्टीफन थोमस निवासी इन्द्रापुरम गाजियाबाद की बेटी के ICICI बैंक खातो पर Internet Banking एक्टिवेट कराने के लिये गूगल से प्राप्त कस्टमर केयर के फर्जी टोल फ्री नम्बर पर कॉल करने पर, बैंक अधिकारी बन Quick Support App Install कराकर फर्जी व्यक्ति द्वारा बैंक खाते से 5,970,32 रूपये की धोखाधडी किया गया, जिस पर साइबर क्राइम थाना नोएडा पर शिकायत दी गई थी।
दोनों ठगों ने पूछताछ पर बताया कि ये साइबर अपराधियों का एक संगठित गैंग है, जो गूगल पर बैंकिग हेल्पलाइन से सम्बन्धित फर्जी टोल फ्री नम्बर डालता हैं, जिस पर कॉल करने वाले लोगो को बैंकिग सहायता देने के नाम पर Quick Support App Install करा लेता है। उस एप के माध्यम से उनके खाते का एक्सेस लेकर अपने खातो मे पैसे ट्रासफर कर लेते है। जिन बैंक खातो मे पैसे ट्रांसफर किये जाते हैं उन बैंक खातोधारकों को गिरफ्तार द्वारा लोन लेने के जरूरत मंद लोगो से लोन के नाम पर बैंक खाता खुलवाकर, खाते के डेबिट कार्ड, मोबाइल सिम व खाता पासबुक को अपने पास लेकर झारखण्ड के लीडर मामा को ट्रेन से जाकर मधुपुर रेलवे स्टेशन पर दे देते थे। जिसके एवज में 10-20 प्रतिशत कमीशन मिलता था। कमीशन का पैसा इन्टरनेट बैंकिंग के माध्यम से निकाल लेते है। इस तरह लगभग 150 बैंक खाते झारखण्ड के मामा को उपलब्ध कराकर अब तक लगभग 35-40 लाख रूपये की ठगी कर चुके है।