शारदा विश्वविधालय में देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्रीयो ने 17वां वार्षिक यूपी – उत्तराखंड सम्मेलन संघ की शुरुआत
शारदा विश्वविधालय में 17वां वार्षिक उत्तर प्रदेश उत्तराखंड आर्थिक सम्मलेन संघ का 2 दिवसीय आयोजन आज से शुरू हुआ। यह सम्मेलन शारदा स्कूल ऑफ बिज़नेस स्टडीज द्वारा किया जाएगा जिसमे राष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री ,निति आयोग , रिज़र्व बैंक से जुड़े हुए लोग प्रोफेसर और रिसर्च स्कॉलर मौजूद रहे इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य देश के अर्थशास्त्र के ऊपर चर्चा करना और कोरोना के बाद अर्थशास्त्र में हुए बदलाव पर चर्चा हुई।
सम्मेलन की शुरुआत शारदा स्कूल ऑफ बिज़नेस स्टडी की डीन जयंती रंजन ने आए सभी अतिथि गण का स्वागत किया।
डॉ. अशोक लाहिरी जो की भारत सरकार के 12वें मुख्य आर्थिक सलाहकार दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डीएसई) में पाठक, और बंधन बैंक के अध्यक्ष ने करोना के बाद बनाई गई नीतियों के बारे में लोगो को बताया , साथ ही किस तरह कोरोना महामारी ने पूरे विश्व के आर्थिक स्तिथि पर प्रभाव डाला जिसकी वजह से शिक्षा , पर्यटन, सत्कार, उत्पादन , व्यापार जैसे बड़े क्षेत्र संकट में आ गए उन्होंने बताया कि बुनियादी ढांचे पर खर्च बहुत जरूरी है, क्योंकि यह रोजगार और उत्पादन एक साथ पैदा करेगा। साथ ही एक मजबूत शिक्षा क्षेत्र के साथ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र भी होना जरूरी है जो कि भारत के भविष्य के विकास पथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्यूंकि किसी भी की अर्थव्यवस्था को सुधरने के लिए शिक्षा क्षेत्र का मजबूत होना बहुत आवश्यक है।
प्रोफेसर पीके सिन्हा जो की भूतपूर्व कुलपति अवध विवि अयोध्या और इस सम्मलेन के अध्यक्ष ने बताया की विकास में देखी गई बाधा और कोरोना महामारी के दौरान उससे कैसे बेरोजगारी देश में एकदम से बढ़ गयी क्योंकि लोगो ने केवल अपनी जरूरतों की चीज़ों पर ध्यान दिया ना कि उन्होंने अपनी इच्छाएं पूरी की।
उन्होंने कहा की 1991 के बाद से देश मे उत्पादन उद्योग कम हुआ जबकि सेवा उद्योग ज्यादा बढ़ गया जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा क्योंकि उत्पादन उद्योग की देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और संतुलित रखने में मदद करता है।
प्रोफेसर विनोद कुमार श्रीवास्तव यूपी उत्तराखंड सम्मेलन के जनरल सेक्रेटरी ने बताया कि 2021-22 के वितीय वर्ष से अर्थव्यवस्था में सुधार होना शुरू हो गया। आर्थिक रूप से पिछड़े लोग, युवा वर्ग महिला कामगार और असंगठित क्षेत्र में धीरे धीरे उत्त्पादन में वृद्धि और नए रोज़गार के अवसर बढ़ रहे है।
प्रोग्राम का समापन प्रोफेसर डीके नौडियाल जो कि आईआईटी रुड़की में अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर और कुमाऊं विवि के पूर्व कुलपति को कौटिलय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया यह पुरस्कार अर्थशास्त्र से जुड़े हुए लोगो को ही दिया जाता है। सम्मेलन में कुल २९० रिसर्च स्कॉलर पूरे भारतवर्ष से , ७८ प्रतिनिधयो, शारदा विवि के डीन, देश के विभिन्न कॉलेज के कुलपति, मौजूद रहे।