अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस : आधी आबादी को मिले पूरा सम्मान
लेख- सुमन शर्मा(हिंदी अध्यापिका, जे पी इंटरनेशनल स्कूल, ग्रेटर नोएडा)
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मुझे लिखते हुए अपार प्रसन्नता हो रही है की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस लैंगिक अ समानता पर कुठाराघात करता हुआ नजर आ रहा है, आधी आबादी के सम्मान में इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों एवं सम्मान को संरक्षित करना है ।
यह दिवस महिला अधिकार आंदोलन को वेग शीलता के साथ आगे बढ़ने का संकल्प दिवस भी है लैंगिक समानता होनी ही चाहिए, क्योंकि असमानता सदैव हिंसा द्वेष, दुर्व्यवहार की जननी रही है।
समाज में सभी को सम्मान से जीने का ,आर्थिक राजनीतिक उन्नति का अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
पहले पुरुष और महिला के बीच शक्ति के कार्य के आधार पर पुरुष को महिला से श्रेष्ठ मान लिया जाता था किंतु वर्तमान समय में महिलाओं ने इस मिथक को तोड़ दिया है वह भी पुरुष के समान ही सभी क्षेत्रों में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है अब लैंगिक आधार पर आधी आबादी के साथ भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि पुरुष अथवा महिला होना एक जैविक एवं रसायनिक घटनाक्रम का प्रतिफल ही है तो इसमें महिला को दोषी सिद्ध नहीं किया जा सकता दुर्भाग्यवश आज भी विश्व लैंगिक अंतराल सूचकांक २०२० में भारत १५३ देशों में ११२ बे स्थान पर रहा है इससे प्रतीत होता है कि देश में लैंगिक भेदभाव की जड़ें कितनी गहरी रही होंगी।
लड़की को बचपन से शिक्षित करने को आज भी विश्व में ग्रामीण अंचलों में एक बुरा निवेश ही माना जाता है , तथा मान ही लिया गया है कि बेटी को पिता का घर छोड़ कर दूसरे घर जाना ही पड़ेगा आते हमें आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर यह संकल्प लेना होगा कि कोई भी बेटी शिक्षा के अधिकार से वंचित न रह जाए और दोहराना होगा एक भी बेटी छूट गई तो संकल्प हमारा टूट गया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक शिक्षिका होने के नाते जहां तक भी होगा सर्व शिक्षा अभियान की ज्ञान गंगा को अनवरत आगे बढ़ाते रहने में पूर्ण सहयोग करती रहूंगी।