बीते 2 सालों में कोरोना के कारण कई परिवारों ने अपनों को खोया है। किसी ने अपने मां बाप को खोया तो किसी मां बाप ने अपनी संतान को खोया है। अपनों को खोने का गम वही समझ सकता है जिसका अपना उससे बिछड़ गया है। ऐसे में ये दुख पहाड़ की तरह और विशाल हो जाता है जब उसकी आर्थिक हालत खराब हो जाती है। देश में कई ऐसे परिवार हैं जिनके यहां उसकी मृत्यु हुई, जो अकेला घर में कमाने वाला था। पति पत्नी में से यदि कोई नहीं है तो एक सदस्य अपने बच्चों की परवरिश कर रहा है लेकिन ऐसे बहुत से बुजुर्ग माता पिता हैं जिनसे कोरोना ने उनकी उस संतान को उनसे छीन लिया जो उनके घर में अकेला कमाने वाला था। एक तो संतान को खोने का दुख और ऊपर से खराब होती आर्थिक हालत ने उन्हें जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। ऐसे में उन बुजुर्गों के साथ EPFO मजबूती के साथ खड़ा है और उन्हें पेंशन के रूप में आर्थिक मदद दे रहा है। EPFO के अनुसार ऐसे माता पिता को आजीवन पेंशन मिलेगी जिनकी नौकरीपेशा संतान अब इस दुनिया में नहीं है।
कैसे मिलेगी इस योजना में पेंशन
इस पेंशन योजना को EPS कहा जाता है। इस योजना को साल 1995 में शुरू किया गया था। इसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति कि नौकरी की अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता उसकी कमाई पर आश्रित हैं तो माता पिता को EPS-95 नियम के अनुसार उन्हें आजीवन पेंशन मिलेगी लेकिन इसमें शर्त यह है की व्यक्ति ने अपनी नौकरी के 10 साल पूरे कर लिए हों। अगर कोई कर्मचारी नौकरी के दौरान शारीरिक रूप से अक्षम हो जाए तो उसे भी इस योजना के अनुसार आजीवन पेंशन मिलेगी। भले ही उसने नौकरी के 10 साल पूरे न किए हों।
योजना का लाभ लेने के लिए कितना जमा करना होता है
कर्मचारी के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते से 12 प्रतिशत पीएफ अकाउंट में जमा होता है।
कंपनी भी 12 प्रतिशत कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में जमा करती है।
जब कर्मचारी रिटायर होता है तो उसे उसके फंड का सारा पैसा ब्याज के साथ मिलता है।
जो कर्मचारी का 12 प्रतिशत पैसा है वो सीधे उसके EPF अकाउंट में जमा होता है।
वहीं कंपनी अपने 12 प्रतिशत का हिस्सा दो भागों में बांट देती है जिसका एक 3.67 EPF में और 8.33 EPS में जमा करती है।
यह योजना उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जिन माता पिता की संतान का किसी कारणवश मृत्यु हो गयी है। वो माता पिता केवल उसकी ही आय पर आश्रित थे। ऐसे लोगों को EPFO आजीवन पेंशन देगा, शर्त यह है की मरने वाले व्यक्ति ने अपनी नौकरी के 10 साल पूरे कर लिए हों।