किसी को भूखा सोने नही देना है, जाते जाते बता गए किशोर, क्या है रोटी बैंक
वाराणसी, राजेश मिश्रा । भूख ! इंसान की वह जरूरत जिसके बिना उसका जीवन संभव ही नहीं है। भूख ! जो हर इंसान को लगती है अमीर हो या फिर गरीब , भूख ना तो जाति देखती है ना मजहब देखती है और ना ही कोई रंगभेद करती है। लेकिन आज हमारा समाज दो वर्गों में बटा हुआ है । एक वर्ग ऐसा है कि जो पेट भर के खाना खा लेता है और दूसरा वर्ग ऐसा है जिसे एक टाइम का भी भोजन नसीब नही होता है।
लेकिन वह कहते हैं ना कि इस धरती पर नेक दिल इंसानों की कोई कमी नहीं है जिनका दिल दूसरों की तकलीफों को देखकर , सुनकर रोता है और उनके लिए कुछ करने के लिए तड़पता है ।
आज हम आपको एक ऐसी ही व्यक्ति की कहानी बताने जा रहे हैं जिसका दिल भूखे लोगों को देखकर परेशान रहता था और कुछ करना चाहता था। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में एक युवा समाजसेवी जिसका नाम था किशोर कांत तिवारी रहते थे। उन्होंने एक मुहिम चलाई जिसका नाम था रोटी बैंक, इस मुहिम मे वो उन लोगों तक खाना देने का काम करते थे जो अक्सर रात को भूखे सोने को मजबूर होते थे। शुरुआत मे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन कहते है न कि जहाँ चाह वहाँ राह। उनकी ये मुहिम ने तेजी से रफ़्तार पकड़ी और उन लोगों तक जा पहुँची जिन्हें भोजन की वाकई मे ज़रूरत थी।
सब कुछ सही चल रहा था लेकिन बीते मार्च मे किशोर कांत तिवारी को कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें हम सब से छीन लिया और किशोर इस दुनिया को अलविदा कह गए। एक नेक काम की शुरुआत करके इस तरह से दुनिया छोड़ चले जाना संस्था के लिए वाकई मे झकझोर देने वाला था। लेकिन जो काम समाज की भलाई के लिए हो उसे कैसे रोका जा सकता है। उनके जाने के बाद रोटी बैंक को रौशन पटेल के दिशा निर्देश मे यह संस्था आज सैकड़ों लोगों का पेट भर रही है। रौशन पटेल के साथ सचिन राय, अनूप पांडे और विनय शुक्ला कंधे से कंधा मिलाकर इस नेक काम मे लगे हुए है।
किशोर जी का सपना था कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए और शायद यही टैगलाइन इस रोटी बैंक की भी है कि “कोई व्यक्ति भूखा ना सोए” क्योंकि अक्सर ऐसे लोग हैं जो काम करने तो निकलते हैं लेकिन काम न मिलने के कारण उन्हें भूखा सोना पड़ता है या कुछ गरीब ऐसे हैं जिनके पास उतना भी पैसा नहीं है जिससे वह अपना और अपने परिवार का पेट भर सके तो उनके लिए रोटी बैंक की संस्था आगे आती है और लगभग रोजाना 500 से लेकर 1000 लोगों तक उनका निवाला पहुंचाती है ।
रोटी बैंक समाज के लिए यह एक उदाहरण है कि यदि कुछ करने का जज्बा और कुछ करने का इरादा आपके मन में है, आपकी सोच में है तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको अच्छा करने से नहीं रोक सकती केवल समस्याओं का रोना रोने से समस्याओं का समाधान नहीं होने वाला समस्याओं का समाधान तभी होगा जब हम उस समाधान के लिए अपना एक कदम आगे बढ़ाएंगे यदि उस समाधान का समाज पर अच्छा असर पड़ता है तो समाज में ऐसे बहुत से लोग आपको मिलेंगे जो आपके कदम से कदम मिलाकर चलने में आपकी सहायता करेंगे। किशोर जी का सपना था कि वह एक ऐसा रोटी बैंक बनाएं जो बनारस ही नहीं देश के कोने कोने में लोगों का पेट भर सके और उन्हें की तर्ज पर आज स्थिति यह है कि हर जिले में हर कस्बे में एक रोटी बैंक चलता है। जो लोग अपने अपने स्तर से चलाते हैं अपने अपने खर्चे से चलाते हैं सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें ऐसे लोगों का भी सहयोग मिलता है जिनका किसी परिवार के सदस्य का जन्मदिन होता है या किसी व्यक्ति की पुण्यतिथि होती है या कोई ऐसी तारीख जो किसी के परिवार में महत्वपूर्ण है । वह लोग इस संस्था में अपनी कुछ राशि डोनेट करते हैं ताकि उस राशि से जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन बनाया जा सके।
हम अपने आयोजनों में इधर-उधर पैसे खर्च करते हैं । वह पैसे वहाँ खर्च ना करके और इस संस्था को सहयोग राशि के रूप में अपनी राशि दे जिससे इस संस्था के लोग उस राशि मदद से जरूरतमंदों के लिए भोजन तैयार कर पाएं हैं उसे उन तक वह भोजन पहुंचाते हैं ताकि उनका जो पेट भर सके और कोई भी भूखा ना सो सके।