दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा : कम आयु के लोगों को शराब की होम डिलीवरी नहीं होगी, यह कैसे सुनिश्चित करेगी सरकार
उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि वह यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि नई आबकारी नीति के तहत कम उम्र के लोगों को होम डिलीवरी पर शराब उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने इस मुद्दे पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि शराब की होम डिलीवरी से ऑर्डर करने वाले व्यक्ति की उम्र सत्यापित करने की प्रक्रिया क्या है। अदालत ने सभी तथ्यों को रिकार्ड पर लाने का निर्देश देते हुए सुनवाई 18 नवंबर तय की है।
पीठ ने कहा आप शराब खरीदने वाले की आयु का सत्यापन कैसे करेंगे? आपको इस प्रश्न का उत्तर देना होगा। आप यह नहीं कह सकते कि आप इसका जवाब नहीं देंगे। दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि यह केवल मौजूदा नियम में संशोधन है और यह अभी अस्तित्व में नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि जब भी यह अस्तित्व में आएगा आधार संख्या या कोई अन्य आयु प्रमाण देने के प्रावधान होंगे। नई नीति के तहत दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र 21 साल है।
भाजपा सांसद ने दी है चुनौती
पीठ दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के तहत शराब की होम डिलीवरी के प्रावधान को चुनौती देने वाली भाजपा सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
याची की ओर से पेश वकील ने कहा कि उन्होंने इस प्रावधान को चुनौती दी है क्योंकि उम्र की निगरानी की कोई प्रक्रिया नहीं है जिसके कारण कम उम्र के व्यक्ति और सार्वजनिक स्थान पर भी शराब सौंपी जा सकती है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने याची के उस तर्क पर आपत्ति जताई कि शराब की होम डिलीवरी से घर के बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा अगर कोई व्यक्ति किसी दुकान से शराब खरीदने जाता है, तो वह उसे लाएगा। घर में तो प्रभाव वही होगा और इसका मतलब यह नहीं है कि वे बच्चों को बिगाड़ रहे हैं।
सिंघवी ने कहा कि केवल तौर-तरीके बदल गए हैं और होम डिलीवरी की व्यवस्था पिछले 20-30 वर्षों से मौजूद है। उन्होंने कहा पहले शराब की होम डिलीवरी के लिए आवेदन करने का तरीका ईमेल या फैक्स के जरिये होता था। अब इसे किसी मोबाइल एप के जरिये करना होगा।
सरकार की नई आबकारी नीति को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में लंबित है।