गरीबों की रोटी अमीरों की तिजोरियों में बंद नहीं होने देंगे, कृषि कानून वापस लेने ही होंगे – राकेश टिकैत

ग्रेटर नोएडा – भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश सिंह टिकैत ने कहा है।कि मोदी सरकार के तीनों कृषि कानून गरीबों की रोटी अमीरों की तिजोरी में बंद करने वाले हैं। जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होती तब तक अनवरत आंदोलन जारी रहेगा। सोमवार को राकेश टिकैत आगरा से दिल्ली जाते समय ग्रेटर नोएडा के तुगलपुर गांव में स्वर्गीय महेंद्र सिंह प्रधान के आवास पर किसानों से मिले जहां किसानों ने टिकैत को पगड़ी बांधकर स्वागत किया और अपनी समस्या बताएं साथ ही किसानों ने आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल रहने का आश्वासन दिया। इस मौके पर भाकियू के प्रदेश महामंत्री पवन खटाना, जिलाध्यक्ष अनित कसाना, मीडिया प्रभारी सुनील प्रधान, भगत सिंह चौधरी के अलावा सरदार मंजीत सिंह, चौधरी विजेंद्र सिंह आर्य, मनोज चौधरी, संजय भैया, राजे प्रधान, इंद्रजीत कसाना, राजेश बसु, देवेंद्र सोनी आदि मौजूद रहे। बाद में पत्रकारों से वार्ता करते हुए, राकेश टिकैत ने कहा कि पिछले 11 महीनों के आंदोलन में करीब 750 किसानों का बलिदान देकर भी किसान और मजदूर अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए आज भी सड़कों पर आंदोलनरत है। किंतु हम सरकार को बता देना चाहते हैं कि किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे। किसानों का यह आंदोलन संघर्ष से समाधान तक चलेगा, जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते और एमएसपी गारंटी कानून लागू नहीं किया जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के बीच बैठकर वार्ता करने को तैयार नहीं है यदि किसी पार्टी की सरकार होती तो वह किसानों की खैरियत जरूर लेती। आज देश में किसी पार्टी की सरकार नहीं, बल्कि मोदी की सरकार है, और मोदी सरकार को बड़ी-बड़ी अमीर कंपनियां चलाती हैं। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून के अंतर्गत किसानों के बीज पर कंपनी का अधिकार होगा, पशुधन खत्म होगा, दूध पर कंपनी का अधिकार होगा, और किसानों की जमीनों पर भी कंपनियों का अधिकार होगा। आज भी किसान एमएसपी रेट से आधी कीमत पर अपनी फसल बाजार में बेचने को मजबूर है। किसानों पर खाद बीज पेट्रोल डीजल महंगाई की मार दिनों दिन पड़ रही है। उन्होंने कहा कि अमीर रात को भी जमीन बेचकर अमीर हो रहे हैं, और किसान अपनी फसल दिन में भी बेचकर गरीब हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार से 11 12 दौर की वार्ता हो चुकी है, मगर कोई समाधान नहीं निकला। सरकार कहती है। कि नए कृषि कानून वापिस नही होंगे। यदि संशोधन चाहते हो तो सरकार वार्ता के लिए तैयार हैं। राकेश टिकैत ने बताया कि बताया कि सरकार किसी तरह से उन्हें बुलाकर बंद कमरे में बैठकर हम से हस्ताक्षर कराना चाहती है, मगर इसके लिए हम किसान तैयार नहीं है। अगर सरकार वार्ता करना चाहती है। तो हमारे भी दरवाजे खुले हैं, हम वार्ता के लिए तैयार हैं। किंतु, वार्ता खुली पंचायत के बीच में बैठकर होगी, यदि इसके लिए सरकार हमें बुलाएगी तो वार्ता करेंगे।

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