बिजली संकट : देश मे क्यूँ बढ़ रही है बिजली की समस्या, पढें कारण
सरकार ने भविष्य में कोयले की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए 40 नए कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ये कोयला ब्लाक की नीलामी का तीसरा चरण होगा। पहले दो चरणों में 28 ब्लाक की नीलामी की गई थी। केंद्र की तरफ से कहा गया है कि झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रेदश, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश व असम में स्थित कुल 88 कोल ब्लाक की नीलामी होनी है।
केंद्र की अनदेखी कर फंसे राज्य
मौजूदा संकट राज्यों द्वारा केंद्र की बताई बातों की अनदेखी की वजह से ही हो रहा है। दरअसल, इस वर्ष मार्च में ही केंद्र की तरफ से बिजल संयंत्रों को कहा गया था कि वो कोयले का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित कर लें। लेकिन इसको राज्यों ने गंभीरता से नहीं लिया इसकी वजह से अब ये राज्य परेशानी का सामना कर रहे हैं। बता दें कि मंगलवार को इस मामले में पीएम ने समीक्षा बैठक की थी।
राज्यों ने नहीं किया भुगतान
आपको यहां पर ये भी बता दें कि राज्यों की तरफ से कोल इंडिया के करीब 21,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। फिलहाल महाराष्ट्र पर 2,600 करोड़ रुपये, बंगाल पर 2,000 करोड़, तमिलनाडु व मध्य प्रदेश पर 1,000 करोड़, कर्नाटक पर 23 करोड़ व राजस्थान पर 280 करोड़ रुपये बकाया है। माना जा रहा है कि स्थिति सुधरने पर ये राज्य कोल इंडिया को बकाया राशि का भुगतान भी कर देंगे।
न चुकाई राशि न ही लिया कोयला
बता दें कि अप्रैल 2021 में कोल इंडिया के पास 10 करोड़ टन कोयले का स्टाक था। वहीं यदि वर्ष 2020 के अप्रैल माह की बात करें तो ये स्टाक 7.5 करोड़ टन कोयला था। लेकिन राज्यों ने न तो कोयले का भंडारण ही सुनिश्चित किया और न ही कोल इंडिया की बकाया राशि को ही चुकाया। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कोयले की कीमत की वजह से भी इस पर असर पड़ा। इसका नतीजा ये हुआ कि राज्यों ने आयात बंद कर केंद्र से अतिरिक्त कोयले की मांग की। राज्यों ने इस मामले में जब आंख खोली जब देश के 135 ताप बिजली घरों में से आधे से ज्यादा संयंत्रों में कोयले का भंडार महज पांच दिनों का ही रह गया।