गौतमबुद्ध नगर के दो गांवों के दो होनहारो ने मेहनत और संघर्ष से लिखी अपनी तकदीर
सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफल आदित्य भाटी ने साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती, किसान की बेटी हिमानी ने संघर्ष रंग लाया
संघ लोक सेवा आयोग जो यूपीएससी मेन रिजल्ट की घोषणा की है उसके बाद गौतमबुद्ध नगर के दो गांवों में जश्न का माहौल है यहां के दो होनहार लड़का और लड़की ने यूपीएससी क्लियर किया है आदित्य भाटी और हिमानी मीना ने जेवर क्षेत्र का नाम रौशन किया है. जेवर के देवटा गांव के आदित्य भाटी को सिविल सर्विसेज परीक्षा में 112वीं रैंक और गांव सिरसा माचीपुर की हिमानी मीणा ने भी 323 वीं रैंक हासिल की है. इन दोनों की कामयाबी से पूरे इलाके में खुशियों का माहौल है. परिवारजनों ने मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर की है.
देवटा गांव के आदित्य भाटी को यूपीएससी मेन 112वीं रैंक मिली है। दिल्ली आइआइटी से 2015 में मैकेनिकल में बीटेक करने बाद आदित्य ने पढ़ाई के दौरान ही सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। 2018 में उनका भारतीय वन सेवा (आइएफएस) में चयन हो गया, आदित्य भाटी अभी आईएफएस हैं. वह अभी मध्य प्रदेश कैडर में हैं. लेकिन वह प्रशासनिक व पुलिस सेवा के जरिए देश की सेवा करना चाहते थे। देहरादून में आइएफएस की ट्रेनिग के दौरान फिर से तैयारी में जुट गए। आखिरकार अपने सपने को सच साबित किया। मां दिल्ली के कॉलेज में शिक्षिका थीं. माता-पिता दिल्ली में शिक्षक थे और रिटायर हो चुके हैं. आईएएस बनने के लिए 5 बार एग्जाम दिया है आदित्य भाटी के यूपीएससी की परीक्षा में इस बार अच्छी रैंक हासिल करने से परिवार और गांव के लोगों में खुशी का माहौल है.
हिमानी मीणा जेवर के छोटे से गांव सिरसा मांचीपुर के किसान की बेटी है. हिमानी ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 323वीं रैंक हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। हिमानी ने यह सफलता कड़े संघर्षों के बीच पाई है। प्राथमिक शिक्षा के बाद जेवर के प्रज्ञान पब्लिक स्कूल में छठी कक्षा में दाखिला कराया। जहां उनकी बेटी ने हमेशा स्कूल टॉप किया। हिमानी ने मास्टर्स जेएनयू से किया है. हिमानी के पिता इंद्रजीत ने बताया कि उनकी बेटी ने जेएनयू से पीएचडी और एमए की परीक्षा में टॉप की है, पिता किसान और मां गृहणी हैं. UPSC में मेंस परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद खुशी का माहौल है, हिमानी ने बताया कि परिवार के सामने बहुत सारी चुनौतियां थीं। इसके बावजूद परिजनों ने हमेशा मेरा साथ दिया। दिल्ली में रहते हुए परास्नातक के दौरान उन्होंने यूपीएससी के बारे में सोचा और तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि एकाग्रता के साथ 7-8 घंटे की पढ़ाई कर यह मुकाम हासिल किया है।
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