किसान पंचायत के बाद मुजफ्फरनगर से ग्राउंड रिपोर्ट: जाटों में सरकार से नाराजगी है, पर इतनी नहीं कि दूर न हो
मुजफ्फरनगर की किसान पंचायत में राकेश टिकैत ने वोट की चोट से भाजपा को हराने की हुंकार भरी। उनकी यह अपील यूपी और उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में कितना असर दिखाएगी, सभी इसके आकलन में लगे हैं। राकेश टिकैत का कहना है कि सूबे में पश्चिम यूपी से ही बीजेपी का झंडा बुलंद हुआ था और यहीं से इनकी उलटी गिनती भी शुरू होगी।
हालांकि, राकेश टिकैत के इन दावों के उलट चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर राजेंद्र कुमार पाण्डेय बताते हैं, “मुझे नहीं लगता कि आने वाले विधानसभा चुनावों में किसान पंचायत और किसान आंदोलन का बहुत असर होगा।” इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं, “सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे भारत में चुनाव सिर्फ मुद्दों पर नहीं लड़े जाते हैं। यहां चुनाव जातिगत समीकरण और भावना आधारित भी होते हैं। अभी चुनाव में वक्त है ऐसे में आने वाले समय में सरकार क्या कुछ कदम उठाती है नाराज वर्ग को खुश करने के लिए यह भी काफी महत्वपूर्ण रहेगा।”
किसान आंदोलन का नहीं है व्यापक असर
मुजफ्फरनगर शहर में रहने वाले 26 वर्षीय हेमू विक्रमादित्य किसान आंदोलन पर कहते हैं, “जवान और किसान भारत के लोगों के लिए संवेदनशील विषय रहे हैं। वर्तमान परिवेश में किसान के प्रति इन्हीं संवेदनाओं का व्यक्तिगत स्वार्थ व राजनीतिक वर्चस्व के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इस आंदोलन का हिस्सा अधिकांश लोग वे हैं, जिनकी कृषि भूमि देखी जाए तो मिलेगा की गांव की खसरा-खतौनी में उनके नाम के खाते भी नही हैं।”
बीजेपी भले ही किसान आंदोलन का उसकी चुनावी संभावनाओं पर असर न पड़ने की बात कर रही है, लेकिन संभावित नुकसान को नगण्य करने की कोशिश में जुट गई है। पार्टी की तरफ से मंत्री, विधायक और पार्टी के पदाधिकारियों को सख्त हिदायत है कि असंतुष्ट लोगों से ज्यादा संपर्क बनाएं और उन्हें मनाने की कोशिश करें। जानकारों का मानना है आने वाले दिनों में अगर योगी सरकार किसानों से जुड़े कुछ बड़े ऐलान करे तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
कई किसानों ने कहा कि यदि सरकार गन्ने का दाम में 40-50 रुपये की बढ़ोतरी कर दे, चीनी मिलों से बकाये पैसे का भुगतान करवा दे और बिजली की दरों में कुछ छूट दे दे तो उनकी नाराजगी काफी हद तक दूर हो जाएगी। उनका कहना था कि उन्हें किसान आंदोलन या राकेश टिकैत की अपील से कोई मतलब नहीं है।