ग्रेटर नोएडा को और स्वच्छ बनाने को खर्च होंगे 123 करोड़ -अगले दस साल तक घरों से कूड़ा उठाने वाली कंपनी की तलाश शुरू
ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के शहरों व गांवों को और स्वच्छ बनाने की दिशा में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अहम कदम उठाया है। प्राधिकरण ने अगले 10 साल तक घरों से कूड़ा उठाने और उसे प्लांट पर सेग्रिगेट कराने वाली कंपनी की तलाश शुरू कर दी है। इसका टेंडर जारी कर दिया है। डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन और उसके सेग्रिगेशन पर 123.37 करोड़ रुपये खर्च कर होंगे।
ग्रेटर नोएडा में रोजाना करीब 200 टन कूड़ा निकलता है। प्राधिकरण ने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का सिस्टम बना रखा है। इस काम में दो कंपनियां लगी हुई हैं। एक कंपनी निवासियों के घरों से कूड़ा उठाकर प्लांट तक ले जाती है, तो दूसरी कंपनी कूड़े को सेग्रिगेट करके निस्तारित करती है। घरेलू कूड़े से कंपोस्ट बनाई जाती है। शेष कूड़े को डंप किया जाता है। घरों से कूड़ा उठाने वाली कंपनी की समयावधि अगले माह खत्म हो रही है। प्राधिकरण उससे पहले किसी और कंपनी का चयन कर लेना चाहता है, ताकि निवासियों को दिक्कत न हो। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के निर्देश पर जनस्वास्थ्य विभाग न इसका टेंडर निकाल दिया है। इच्छुक कंपनियां आज (बृहस्पतिवार) आवेदन कर सकती हैं। प्राधिकरण ने आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 28 सितंबर तय की है। 29 को प्री-क्वालिफिकेशन बिड खुलेगी। इससे पहले 17 सितंबर को दोपहर एक बजे प्री-बिड मीटिंग ऑनलाइन होगी। इस निविदा की नियम शर्तें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट पर भी अपलोड की गई हैं। कूड़े को सेग्रिगेट किए जाने से री-साइकिल में आसानी होगी। चयनित कंपनी अगले 10 साल तक घरों से कूड़ा उठाएगी और उसे प्लांट तक पहुंचाएगी। सेग्रिगेट करने का जिम्मा भी उसी का होगा।
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डोर टू डोर कलेक्शन के लिए और सेक्टर शामिल
-ग्रेटर नोएडा में रहने वालों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। तीन-चार वर्ष पहले तक जो सेक्टर खाली थे, उनमें अब बड़ी तादात में लोग रहने लगे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए उन सेक्टरों को भी शामिल कर लिया है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर दो-तीन भी उनमें शामिल हैं। नए टेंडर से चयनित एजेंसी ग्रेटर नोएडा के हर सेक्टर से कूड़ा उठाएगी। ग्रेटर नोएडा से जुड़े गांवों में मैनुअल स्वीपिंग जारी रहेगी। सफाईकर्मी गांवों में हर घर से कूड़े को कलेक्शन सेंटर तक लाएंगे। संकरे रास्ते होने के कारण वहां तक वाहन नहीं जा सकते हैं। इसलिए यह व्यवस्था बनाई गई है।
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बल्क वेस्ट जनरेटरों को खुद से निस्तारित करना होगा
100 किलोग्राम या इससे अधिक कूड़ा जनरेट करने वाले बल्क वेस्ट की श्रेणी में आते हैं। उनको अपना कूड़ा खुद से निस्तारित करना होता है। जिस कूड़े को रीसाइकिल नहीं किया जा सकता, उसे प्राधिकरण उठाएगा। इसके एवज में प्राधिकरण को शुल्क भी देना होगा। ग्रेटर नोएडा की बहुमंजिला आवासीय इमारतें, इंडस्ट्री, मॉल आदि इसी श्रेणी में आते हैं। इन संस्थाओं को कूड़े को प्रोसेस करने के लिए प्लांट लगाना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जनस्वास्थ्य विभाग की टीम जुर्माना भी लगाती है।