यूपी चुनाव 2022: सियासी प्रयोगशाला में मायावती का ‘बीएम’ समीकरण, ब्राह्मणों के साथ-साथ मुस्लिमों को साधने की कोशिश
विधानसभा चुनाव 2022 की सियासी प्रयोगशाला में बसपा सुप्रीमो मायावती ब्राह्मण-मुस्लिम फार्मूले पर काम कर रही हैं। ब्राह्मण सम्मेलन में उन्होंने न केवल ब्राह्मणों को जुल्म-ओ- सितम का शिकार बताकर रिझाने का प्रयास किया वहीं मुसलमानों को सीधे-सीधे यह कहकर साधने की कोशिश की कि उन्हें दंगों को भूलना नहीं चाहिए।
मायावती ने ब्राह्मण सम्मेलन में एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की। उन्होंने बार-बार कहा कि 2007 में ब्राह्मणों के सहयोग से ही बसपा की सरकार बनी थी। साथ ही हर बार यह भी दोहराया कि उनके दलित वोटर ही उनकी मुख्य ताकत हैं।
दलितों को बार बार सबसे मजबूत बताने का एक कारण यह भी है कि कहीं दलित ही यह न मान बैठें कि ब्राह्मणों को कुछ ज्यादा ही तरजीह दी जा रही है। मायावती को लग रहा है कि दलित वोटर इस बार भी पूरी शिद्दत से उनके साथ ही रहेगा पर यदि ब्राह्मण साथ आ गए तो 2007 की कहानी दोहराई जा सकती है।
यहां मायावती मुस्लिमों पर भी फोकस करना नहीं भूलीं। पश्चिमी यूपी में सपा, रालोद तथा भाकियू का गठबंधन रहा है। ऐसे में सपा और रालोद इसका ज्यादा लाभ लेने की आस में हैं। इसके लिए उन्होंने दंगों को याद दिलाने की कोशिश की। कहा कि मुसलमानों को मेरठ का मलियाना कांड और मुजफ्फरनगर का दंगा नहीं भूलना चाहिए। मलियाना कांड के जरिए उन्होंने कांग्रेस और मुजफ्फरनगर दंगे का जिक्र कर उन्होंने सपा को घेरने की कोशिश की।