कोरोना से बचाएगा टीका: वैक्सीन न लेने वाले डेल्टा स्वरूप का हो रहे गंभीर शिकार
टीका न लगवाने वाले संक्रमितों की मृत्युदर चार फीसदी से भी अधिक दर्ज की गई है। जिन लोगों ने टीके की एक भी खुराक अब तक नहीं ली है वह डेल्टा स्वरूप की चपेट में आने के बाद तेजी से गंभीर अवस्था में पहुंच रहे हैं।
वहीं एक खुराक लेने वालों में मृत्युदर 1.34 फीसदी मिल रही है। जबकि दोनों खुराक लेकर टीकाकरण पूरा करने वालों में मृत्युदर शून्य दर्ज की गई है। यानी टीकाकरण पूरा करने के बाद डेल्टा स्वरूप से संक्रमित हुए मरीज में से अब तक किसी की भी मौत नहीं हुई है।
आईसीएमआर के ही महाराष्ट्र और तमिलनाडु केंद्र के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि डेल्टा स्वरूप के मरीजों में संक्रमण भी गंभीर हो रहा है। पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की डॉ. प्रज्ञा यादव का कहना है कि टीका लेने के बाद काफी हद तक संक्रमित अस्पताल जाने या फिर मौत से बच सकता है।
मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित एक अध्ययन में राष्ट्रीय महामारी संस्थान के प्रमुख डॉ. एम मुरहेकर ने जानकारी दी है कि डेल्टा की वजह से कोविशील्ड और कोवाक्सिन लेने वालों में एंटीबॉडी कम हो रहे हैं, लेकिन फिर भी टीके का असर खत्म नहीं होता है। एंटीबॉडी कम होने से यह लोग टीकाकरण के बाद भी संक्रमित हो सकते हैं, जो अपने घर में रहकर ठीक भी हो रहे हैं।
टीके का संकट खत्म, पहली बार राज्यों के पास चार करोड़ खुराकें
कोरोना टीकाकरण को लेकर राहत भरी खबर है। देश में अब वैक्सीन संकट पूरी तरह से खत्म हो चुका है। पहली बार राज्यों के पास चार करोड़ से अधिक खुराकें मौजूद है।
16 जनवरी से शुरू हुए कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम के तहत ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही महीने में केंद्र सरकार ने 20 बार टीके की खेप जारी करते हुए राज्यों के भंडारण में दो करोड़ से अधिक खुराकें रखी हैं।
जबकि इससे पहले तक टीके की कमी के चलते दिल्ली, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में टीकाकरण की गति को कम करना पड़ा था। इनमें से कुछ राज्यों में केंद्र अस्थायी तौर पर बंद करने पड़े थे। फिलहाल स्थिति यह है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों के पास 4.05 करोड़ खुराकें उपलब्ध हैं। शुक्रवार को 17 लाख से ज्यादा की एक और खेप जारी की गई है।