दिल्ली: पहले बड़ी कक्षाएं फिर छोटे बच्चों के लिए खुलें स्कूल, एक्सपर्ट कमेटी की राय

दिल्ली में कोरोना के नियंत्रित मामलों को देखते हुए स्कूल खोलने के लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी ने सुझाव दिया है कि अब राजधानी में धीरे-धीरे स्कूल खोले जाने चाहिए। सबसे पहले बड़े बच्चों की कक्षाएं खोली जाएं उसके बाद प्राइमरी और मिडिल कक्षाएं खोली जाएं।

 

एक्सपर्ट कमेटी की राय है कि कोरोना के जिस तरह के हालात दिल्ली में है उसे देखते हुए अब स्कूल धीरे-धीरे खोले जा सकते हैं। हालांकि इसका अंतिम निर्णय डीडीएमए की बैठक में ही होगा।

 

गौरतलब है कि दिल्ली में स्कूल किस तरह खोले जाएं इसको लेकर दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था। इसी एक्सपर्ट कमेटी ने दिल्ली में कोविड के हालात को देखते हुए स्कूल खोलने पर अपनी राय दी है।

दिल्ली सरकार ने इससे पहले स्कूलों को आंशिक रूप से खोलने की घोषणा की थी जिसमें 10वीं और 12वीं कक्षा के बच्चे स्कूल आकर एडमिशन से संबंधित, काउंसिलिंग और प्रैक्टिकल से जुड़े कार्य कर सकते हैं। दिल्ली सरकार ने स्कूल खोलने को लेकर बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों से भी उनकी राय मांगी थी।

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने इस माह की शुरुआत में बताया था कि स्कूल खोलने को लेकर उन्हें 35000 सुझाव मिले हैं। उन्होंने बताया था कि 35000 सुझाव अब तक मिले हैं जिसमें से 12000 तो सिर्फ एक दिन में ही मिले थे। हम जल्द ही इन सुझावों को ध्यान में रखकर स्कूल खोलने पर कोई फैसला करेंगे।

हाल ही में कई राज्यों ने अपने यहां शैक्षणिक संस्थानों को खोल दिया है जिसमें खासतौर से बड़ी कक्षाओं के स्कूल हैं। हाल ही में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ने भी उन सभी जगहों के स्कूल खोलने की बात कही है जहां कोविड केस न के बराबर हैं या बहुत कम हैं। एनडीएमए ने कहा है कि सभी जगह कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर ही स्कूल खोले जाएं।
समिति की राय से स्वास्थ्य विशेषज्ञ असहमत
कोरोना महामारी के बीच पिछले डेढ़ साल से तालाबंदी के शिकार स्कूलों को फिर से खोले जाने पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ दिल्ली सरकार की सलाहकार समिति के फैसले पर एकमत नहीं हैं।

समिति का मानना है कि सबसे पहले बड़ी क्लास को शुरू करना चाहिए और फिर समय के साथ साथ प्राइमरी क्लास तक शुरू कर दी जाएं जबकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना हैकि इस तरह की सलाह में सरकार वैज्ञानिक तथ्यों को नजरदांज न करें। स्कूलों के बंद होने का सबसे बड़ा नुकसान छोटे बच्चों का है। इन प्राइमरी बच्चों की क्लास सबसे पहले शुरू कर देनी चाहिए और इसमें किसी भी तरह की घबराहट रखने की जरूरत भी नहीं।
बुधवार को स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहारिया ने तो सोशल मीडिया पर एलजी अनिल बैजल तक से अपील करते हुए कहा कि स्कूल खोलने का निर्णय तथ्यों के आधार पर ही होना चाहिए।

डॉ. लहारिया का कहना है कि 6 से 12 साल तक की आयु के बच्चे सबसे अधिक सुरक्षित हैं। पिछले साल जब कोरोना महामारी सामने आई तब इसके प्रभावों के बारे में पूरी दुनिया अनजान थी लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से लेकर तमाम देशों में चिकित्सीय अध्ययन सामने आ चुके हैं। इन बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता इतनी मजबूत है कि यह संक्रमण का सामना खुद कर सकते हैं। जिन बच्चों को पहले से कोई न कोई बीमारी है उन्हें कुछ समय के लिए स्कूल जाने से रोका जा सकता है।

 

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