दिल्ली विश्वविद्यालय: कोर्स बीच में छोड़ने वाले अब पूरी कर सकेंगे पढ़ाई, अगले सत्र से मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का विकल्प
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम (एफवाईयूपी) को एकेडमिक काउंसिल (एसी) से मंजूरी मिल गई है। अब पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले विद्यार्थी कभी भी पढ़ाई छोड़कर कभी भी उसे पूरा कर सकेंगे। इस तरह से उन्हें मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प मिलेगा।
वहीं चार साल का स्नातक कोर्स पूरा करने पर एक साल की ही स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई करनी होगी। 30 अगस्त को होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में इसे रखा जाएगा। पाठ्यक्रम के नाम बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स), बैचलर ऑफ साइंस (ऑनर्स) और बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स) हो जाएंगे।
एकेडमिक काउंसिल के सदस्य डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि एफवाईयूपी के कोर्स को मंजूरी मिलने के साथ अब चार वर्षीय प्रोग्राम में मल्टीपल एंट्री व एग्जिट का प्रावधान किया गया है। इस तरह से विद्यार्थी कभी भी अपने कोर्स को छोड़कर कभी भी वापसी कर अपने कोर्स को पूरा कर सकेगा।
एक साल का कोर्स पूरा करने पर सर्टिफिकेट, दो साल के लिए डिप्लोमा, तीन साल के लिए डिग्री व चार साल का कोर्स पूरा करने पर डिग्री विद रिसर्च मिलेगी। तीन साल की पढ़ाई करने पर उसे दो साल का स्नातकोत्तर की पढ़ाई करनी होगी, जबकि चार साल का कोर्स पूरा करने पर विद्यार्थी को एक साल की स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करनी होगी। एक साल का एमए करने पर 12 पेपर पढ़ने होंगे, जबकि अब तक एमए में 16 पेपर होते थे।
नहीं देनी होगी प्रवेश परीक्षा
कोई छात्र पढ़ाई छोड़कर एक साल से दूसरे साल में दाखिला लेने के लिए आता है, तो उसे प्रवेश परीक्षा नहीं देनी है। वहीं किसी अन्य विश्वविद्यालय के छात्र को प्रवेश परीक्षा देनी आवश्यक है।
कम किए गए भारतीय भाषाओं के पेपर
चार वर्षीय प्रोग्राम के तहत भारतीय भाषाओं के पेपर कम किए गए हैं। एकेडमिक काउंसिल के सदस्य डॉ. आलोक रंजन पांडेय व डॉ. सुधांशु कुमार ने कहा कि चार साल कोर्स का जो प्रारूप है, उसके कई स्वरूप से हम सहमत नहीं हैं। इस कोर्स के प्रारूप में न केवल भारतीय भाषाओं, बल्कि वाणिज्य विषय का वर्क लोड कम हो रहा है। पहले हिंदी दो सेमेस्टर में अनिवार्य रूप से पढ़ाई जाती थी, उसे अब अंग्रेजी/भारतीय भाषा कर दिया गया है।
इस प्रारूप में आठ जेनेरिक इलेक्ट्रिक और 12 कोर पेपर हैं। यह सही नहीं है। अब अंग्रेजी और भारतीय भाषा के पेपर कर दिए गए हैं। छात्र अंग्रेजी को प्राथमिकता देंगे और भारतीय भाषा नहीं लेंगे। इससे भारतीय भाषाएं समाप्त होंगी। उन्होंने बताया कि चार वर्षीय कोर्स के प्रारूप को बनाने में कॉलेज के शिक्षकों, कॉलेज के स्टॉफ काउंसिल के साथ-साथ विभागों की काउंसिल से राय नहीं ली गई है। लिहाजा इसको सुचारू रूप देने के लिए सदस्यों के पास भेजा जाए।
कुलपति तय करेंगे नए कॉलेजों के नाम
डीयू जल्द ही दो नए कॉलेज खोलने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में इनके नामों पर मुहर लगनी थी, लेकिन इसका जिम्मा कुलपति पर छोड़ दिया गया है। कॉलेजों के लिए वीर सावरकर, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, सावित्री बाई फुले, अटल बिहारी वाजपेयी, सरदार पटेल, स्वामी विवेकानंद, चौधरी ब्रह्मप्रकाश के नाम सुझाए गए थे।
एलएलबी-एलएलएम में निशुल्क मिलेगी केस सामग्री
एलएलबी और एलएलएम के विद्यार्थियों को ऑनलाइन केस सामग्री निशुल्क मिलेगी। बैठक में इसे मंजूरी मिल गई है। ऑनलाइन केस सामग्री के लिए एलएलबी के छात्रों से 1000 रुपये और एलएलएम के छात्रों से 1250 रुपये प्रति सेमेस्टर फीस ली जा रही थी।