रक्षाबंधन – वैदिक राखी विधि और महत्व एवं शुभ मुहूर्त व समय : पं.मूर्तिराम,आनन्द बर्द्धन नौटियाल ज्योतिषाचार्य

बहनें 200 से 1500/- की राखियाँ खरीद कर भाईयों काे बॉंधती हैं ! जबकि राखी एक तीन रंग की माेली धागे सें प्रारंम्भ हुआ त्याेहार था, जिसकाे राखियाँ बनाने वाले उत्पादक 2000/- की राखी तक ले गये हैं !

🏵️ आप हम देखते हैं कि यह एक भावनाओं का त्याेहार हैं ! बहनें लम्बी दूरी सें भाई काे राखी बांधने व सम्मान पाने व भाई के परिवार को खुशियां देने आती हैं !

🏵️ राखी बांधनें का मतलब है भाई, तुम दीर्घायु हों और मेरी बुरे समय में रक्षा करना ! परन्तु आज के दौर में बहनें भी इस होड में लगी हैं कि मेरी राखी सब से महंगी हो ताकि उसकी भाभीयां ये ताना ना मारें (दे) कि ननद बाईसा तो इसी राखी लावे सफा ही की पूछो मत, पर क्या वह महंगी राखी दिखावा बनकर नहीं रह गई ?

क्या हमने बहन को नीचा दिखाने के लिए घर बुलाया है या उसे यह अहसास दिलवाने कि अभी तेरा भाई है, तु फिक्र ना कर बहना !

🏵️ रक्षाबंन्धन पर भाई भी अपनी बहनाें काे उपहार रूप में काेई चीज व नगद देते हैं ! लेकिन आजकल 50% ऐसा हाेता हमने देखा हैं कि बहन की राखी लागत ही उपहार में नहीं निकलती हैं ! इसलिए हम कुछ ज़्यादा बहन काे देने की सोचते हैं, हमने इस चकाचौंध की जीवनशैली के कारण भाई-बहन के प्यार को पैसे के तराजू मे ही रख दिया !

सभी भाइयों काे प्रण करना चाहिये कि हम सिर्फ बहन सें माेली धागा ही बंधवायेगें और मिठाई में सिर्फ गुड ! और जाे देना हैं बहन काे वह देते रहेंगे ।

आप हम देखते हैं, कि राखियाँ हम सब 2-4 घंटे या सायं तक ही बाँधे रख पा रहे हैं और बहन का सैकडों रूपया उस राखी पर लगा धन था ! जाे कुछ ही घंटे में स्क्रेप हाे गया !

कृपया सुधार करके अपने पुरानें माेली धागा या रेशम की सुन्दर गुँथी राखी या वैदिक राखी खुद अपने हाथों से बनाकर बांधें (वैदिक राखी बनाने का तरीका लेख के अंत मे है) ताे आपका बीरा (भाई ) साल भर भी बांधे रखेगा !
और यह बहन के लिए गर्व की बात होगी कि मेरा बिरा मेरे रक्षा के सूत्र को सदा बांधे रखता है। वहीं भाई को भी सदा बहन का स्मरण रहेगा कि मेरी बहन है मुझे सदा प्यार व दुलार बरसाने वाली..
सभी भाई बहनों से निवेदन है कि इसको सच में सकारात्मक लें और युद्ध स्तर पर इसको समाज में प्रचलन में लाकर इसका परिवार सहित पालन करें, वहीं भाई बहन के प्यार को पैसे के तराजू में ना तोलें..

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वैदिक राखी : 5 पवित्र चीजों से बनता है यह रक्षा सूत्र

रक्षा बंधन का पर्व वैदिक विधि से मनाना श्रेष्ठ माना गया है। इस विधि से मनाने पर भाई का जीवन सुखमय और शुभ बनता है।

शास्त्रानुसार इसके लिए पांच वस्तुओं का विशेष महत्व होता है, जिनसे रक्षासूत्र का निर्माण किया जाता है।
दूर्वा (घास)
अक्षत (चावल)
केसर
चन्दन और
सरसों के दाने शामिल हैं।

इन 5 वस्तुओं को रेशम के कपड़े में बांध दें या सिलाई कर दें, फिर उसे कलावे में पिरो दें। इस प्रकार वैदिक राखी तैयार हो जाएगी।

पांच वस्तुओं का महत्त्व

दूर्वा (घास) – जिस प्रकार दूर्वा का एक अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उग जाता है। उसी प्रकार रक्षा बंधन पर भी कामना की जाती है कि भाई का वंश और उसमें सदगुणों का विकास तेजी से हो। सदाचार, मन की पवित्रता तीव्रता से बढ़ती जाए। दूर्वा विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रिय है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, उनके जीवन में विघ्नों का नाश हो जाए।

अक्षत (चावल) – हमारी परस्पर एक दूजे के प्रति श्रद्धा कभी क्षत-विक्षत ना हो सदा अक्षत रहे।

केसर – केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।

चन्दन – चन्दन की प्रकृति शीतल होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।

सरसों के दाने – सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है अर्थात इससे यह संकेत मिलता है कि समाज के दुर्गुणों को, कंटकों को समाप्त करने में हम तीक्ष्ण बनें। सरसो के दाने भाई की नजर उतारने और बुरी नजर से भाई को बचाने के लिए भी प्रयोग में लाए जाते हैं।

इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम भगवान के चित्र पर अर्पित करें। फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे। इस प्रकार इन पांच वस्तुओं से बनी हुई वैदिक राखी को शास्त्रोक्त नियमानुसार बांधते हैं, वह पुत्र- पौत्र एवं बंधुजनों सहित वर्षभर सुखी रहते हैं।

श्रावण पूर्णिमा,धनिष्ठा नक्षत्र और शोभन योग में मनेगा रक्षाबंधन पर्व…इस साल राखी पर्व पर नहीं है भद्रा का साया

 

इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व तीन विशेष और लाभकारी योग के बीच मनाया जाएगा..इस वर्ष 22 अगस्त,रविवार को रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा…धर्म के जानकारों की मानें तो इस बार रक्षाबंधन पर्व पर श्रावण पूर्णिमा, धनिष्ठा नक्षत्र और शोभन योग का शुभ संयोग निर्मित हो रहा है…. शास्त्रों और ज्योतिष में इन संयोग को बेहद शुभ और अति उत्तम माना गया है..जबकि इस साल रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया भी नहीं है…धर्माचार्य श्री विजय व्यास के अनुसार रक्षाबंधन के दिन बनने वाले ये तीन खास संयोग भाई-बहन के लिए भी शुभ और कल्याणकारी साबित होंगे… हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास की पूर्णिमा तिथि 21 अगस्त को शाम 7 बजे से प्रारंभ हो रही हैं। वहीं इसका समापन 22 अगस्त को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि 22 अगस्त को प्रात: है, इसलिए रक्षाबंधन 22 अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षाबंधन के दिन इस बार भद्रा का साया नहीं होने से बहनें पूरे दिन स्नेह की डोर से भाइयों की कलाइ को रक्षा सूत्र से सजा सकेगी..इस दिन प्रात: 6 से शाम 5 बजकर 31 मिनट के मध्य बहनें कभी भी राखी बांध सकती हैं। 22 अगस्त को सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक शोभन योग बना हुआ है। शोभन योग को मांगलिक और शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। इस योग में शुरू की गई यात्रा भी अत्यंत सुखद और मंगलकारी होती है. …इस समय काल में आप यात्रा करके बहन के यहां भी जाते हैं तो यह शुभकारी रहेगा। रक्षाबंधन पर दूसरा योग बन रहा है धनिष्ठा नक्षत्र का। रक्षा बंधन के दिन धनिष्ठा नक्षत्र शाम को 07 बजकर 40 मिनट तक है। धनिष्ठा का स्वामी ग्रह मंगल है। धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे लोगों का अपने भाई और बहन से विशेष प्रेम होता है। इस आधार पर रक्षाबंधन का धनिष्ठा नक्षत्र में होना, भाई और बहन के आपसी प्रेम को बढ़ाने वाला होगा
22 अगस्त को राखी बांधने के लिए 12 घंटे 11 मिनट रहेंगे शुभ। आमतौर पर भद्रा के कारण बहनों को राखी बांधने के लिए समय कम ही मिलता रहा है। इस बार भद्रा नहीं होने से राखी बांधने के लिए 12 घंटे और 11 मिनट की अवधि का दीर्घकालीन शुभ मुहूर्त है। राखी सुबह 5 बजकर 50 मिनट से शाम 6 बजे तक कभी भी बांधी जा सकेगी।

श्रावण पूर्णिमा का पर्व इस वर्ष चार विशिष्ट योगों से परिपूर्ण है। पूरे 50 वर्ष बाद सर्वार्थसिद्धि, कल्याणक, महामंगल और प्रीति योग एक साथ बनेंगे। इससे पूर्व वर्ष 1981 में ये चारों योग एक साथ बने थे। इन चारों योगों से श्रावण पूर्णिमा का महात्म्य बढ़ गया है। इस मध्य भाई और बहन के लिए रक्षा बंधन की रस्म विशेष कल्याणकारी होगी। ☀ ।।जय माता दी ।।☀
।। ऊँ सर्वस्वरुपे सर्वेसे सर्व शक्ति समन्विते भवभ्यस्त्रहि नो देवी दुर्गेदेवी नमोस्तुते ।।
🌹🍁🌀🌞🍁🌀🍁🌹 🏢 कार्यालय 🌻 जगदम्बा ज्योतिष केन्द्र 🌻 पं.मूर्तिराम,आनन्द बर्द्धन नौटियाल ज्योतिषाचार्य 🌻 (देबी,नृसिंह उपासक गंगौत्रीधाम) 🔰 जन्मपत्री, वर्षफल, हस्तरेखा, वास्तुशास्त्र, नवग्रह रत्न, दुर्गापाठ,नवग्रहपाठ,महामृत्युंज्जंयपाठ,रुदाभिषेक,रामायण पाठ,भागवत कथा,सन्तान गोपालपाठ,कालसर्प दोष निवारण,गृह प्रवेश,सत्यनारायण कथा,जाप,पूजा,पाठ,कर्म काण्ड हेत्तु अवश्य सम्पर्क करें जी । 🏡 पता – मकान नम्बर -C 38,प्रथ्म तल,ओमिक्रोन-3,EWS फ्लैट,ग्रेटर नोएडा,गौतम बुद्ध नगर,उत्तर प्रदेश ☎ +91 93 10 110 914 🌐 www.jagdambajyotish. in आप कार्यालय में आकर ज्योतिष परामर्श ले सकतें हैं जी समय प्रात: 9 से 1 बजे दिन एवं 4 से 7 बजे शांय तक,मिल सकतें हैं।कृपया आने से पहले अपना समय अवश्य निर्धारित कर लें जी। 🦋💫 आप से विन्रम निवेदन है की आप हमारे पेज को अवश्य Like @ Share अवश्य करें जी 🌻🌻🌻🌻🌻🌻

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