HANDICRAFT के 18 उत्पादों पर जीएसटी की दरों में कमी
नई दिल्ली : जीएसटी के दौर में हस्तशिल्प क्षेत्र की सहज गति बनाए रखने के उद्देश्य से ईपीसीएच नियमित रूप से जीएसटी परिषद में अपने सुझावों को प्रस्तुत करती रही है. ईपीसीएच ने अपने प्रस्तावों जिनमें विभिन्न हस्तशिल्प उत्पादों पर जीएसटी दरों में रियायतें, जॉब वर्क पर जीएसटी दर में कमी, वर्किंग कैपिटल ब्लॉकेज पर उपाय, वर्तमान स्टॉक से संबंधित मामले, ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स का उपयोग, मेले में भागीदारी पर जीएसटी, निर्यातकों द्वारा भुगतान की गई विदेशी एजेंसी कमीशन पर जीएसटी इत्यादि.
EPCH के कार्यकारी निदेशक श्री राकेश कुमार ने बताया कि अपनी 21वीं बैठक के दौरान जीएसटी परिषद ने 18 हस्तशिल्प उत्पादों पर जीएसटी की दरों में कमी की है, इसमें मिट्टी, लकड़ी, पत्थर, धातु की प्रतिमाएं, टेबल एवं रसोई के बर्तन, कागज की लुग्दी से बने उत्पाद, स्टोन इनले, मूर्ति, हाथीदांत की कलाकृति, अस्थि उत्पाद, शंख उत्पाद, कॉटन से बनी रजाई, झाड़ू, ब्रश और कुछ प्राकृतिक फाइबर से बनी वस्तुएं शामिल हैं.
श्री कुमार ने आगे कहा कि निर्यात समुदाय की ओर से ईपीसीएच ने 18 हस्तशिल्प वस्तुओं में जीएसटी दरों को कम करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री और माननीय वित्त मंत्री के प्रति आभार प्रकट किया और माननीय केंद्रीय कपड़ा मंत्री और माननीय कपड़ा राज्य मंत्री के सक्रिय हस्तक्षेप के प्रति कृतज्ञता जताई.
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक राकेश कुमार ने सूचित किया, “हालांकि, जीएसटी से संबंधित हस्तशिल्प के कुछ अन्य पक्ष भी हैं, जिसे ईपीसीएच ने एक बार फिर जीएसटी परिषद को पेश किया है. जैसे हस्तशिल्प के जॉब वर्क्स में जीएसटी दरों को 5% करने पर विचार करना जैसा कि कपड़ा क्षेत्र के लिए माना गया है, लिहाजा इसे भी कम किया जाना चाहिए, निर्यात के लिहाज से महत्वपूर्ण उत्पादों में जीएसटी दरों में भी कमी की जानी चाहिए, जैसे- लकड़ी के फ्रेम, चीनी मिट्टी उत्पाद, पीतल/तांबा हस्तशिल्प, संगीत वाद्ययंत्र, लकड़ी/लोहे के फर्नीचर, हस्तनिर्मित गद्देदार आसन, क्रिसमस के आइटम, धूम्रपान पाइप आदि.जो मुख्य रूप से जोधपुर, जयपुर, सहारनपुर और मुरादाबाद के प्रमुख शिल्प समूहों द्वारा निर्यात किए जाते हैं.”