तालिबान सरकार को मान्यता सबसे पहले ये देश देंगे , जानें- क्या हैं इसके मायने
नई दिल्ली । तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भले ही कई देश उन्हें मान्यता देने से इनकार कर रहे हों, लेकिन, दूसरी तरफ कुछ देश ऐसे भी हैं जो तालिबान की सत्ता को न सिर्फ मान्यता देने का इरादा रखते हैं बल्कि इन देशों की तालिबान को स्थापित करने में एक अहम भूमिका भी रही है। तालिबान को मान्यता देने का सीधा अर्थ ये भी है कि वो देश तालिबान के साथ कूटनीतिक, व्यापारिक रिश्ते भी रख सकेंगे।
पाकिस्तान मान्यता देने में होगा सबसे आगे
इसमें वो देश तो शामिल हैं ही जिन्होंने पिछली बार उन्हें मान्यता दी थी (पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई) लेकिन इस बार इसमें कुछ और नाम भी जुड़ने की पूरी उम्मीद है। ये तीनों देश हमेशा से ही तालिबान के बड़े समर्थक रहे हैं। तालिबान की फंडिंग में जहां इन देशों का पूरा हाथ रहा है वहीं पाकिस्तान में तालिबान के आतंकियों को आईएसआई की निगरानी में ट्रेनिंग भी दी जाती है। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने बयान में कहा है कि तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर वर्षों पुरानी गुलामी की जंजीरें तोड़ दी हैं।
कतर के मान्यता देने के पूरे आसार
इसके अलावा कतर, जहां पर तालिबान ने अपना राजनीतिक कार्यालय खोला हुआ है, वो भी इस बार इसकी सरकार को मान्यता दे सकता है। इसकी पूरी संभावना है। आपको बता दें कि कतर ही तालिबान और विभिन्न पक्षों के बीच हो रही बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।