Nag Panchami 2021: आध्यात्मिक आस्था और विश्वास के एक क्रियाशील प्रतीक हैं नाग
Nag Panchami 2021: विश्व समुदाय को आश्चर्य है कि भारत में नागों की पूजा होती है, क्योंकि वे इसके अधिभौतिक दर्शन को नहीं जानते, केवल भौतिक पहचान तक सीमित हैं। नाग देवता माता लक्ष्मी के सेवक हैं। अमूल्य नागमणि एवं दैव निधियों के प्रहरी हैं। महात्माओं ने नाग के किसी भी रूप में शत्रुभाव का निषेध किया है। धर्म वचन है कि उसे शत्रु मानने से अशुभ और मित्र मानने से शुभ होता है। भगवान शेषनारायण के बारह स्वरूपों की भी स्तुति वंदना नागपंचमी को होती है। इस विशेष दिवस पर जो भी मानव शुद्ध मन से उनका सत्कार करता है, उसे उनसे कभी भय या क्षति की भावना शेष नहीं रहती। इससे मन की कई आशंकाएं मिट जाती हैं।
हमारी संस्कृति में आदि काल से ही नाग को आध्यात्मिक आस्था और विश्वास के एक क्रियाशील प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। युगों से भारत में नाग देवता की महिमा का गायन होता रहा है। विविधताओं के साथ देश के सभी भागों में नाग को प्रतीकात्मक स्वरूप प्रदान किया गया है। अनेकानेक कथाओं में नाग के पौराणिक अस्तित्व होने से सहज मान्यताओं का क्रम अनवरत चलता रहा।
वस्तुत: जीवन-दर्शन में नाग का संकेत परंपरागत व्यवहारों से प्रदर्शित किया जाना अनिवार्य सा हो गया। देवाधिदेव महादेव शंकर अपने गले में जिसे धारण करते हों, वह स्वत: पावन एवं पूजित हो जाता है। इसीलिए भगवान शिव के पवित्र माह सावन में शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग देवता की पूजा का विधान है।