विश्वविद्यालय समाचार : डीयू में स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए नहीं होंगे साक्षात्कार

दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 में पीज कोर्सेज में दाखिले केवल प्रवेश परीक्षा के आधार पर होंगे। दाखिले के लिए साक्षात्कार नहीं लिया जाएगा। विश्वविद्यालय ने इस साल कोई भी अतिरिक्त क्राइटेरिया नहीं लगाने का फैसला किया। ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब दाखिले के लिए साक्षात्कार नहीं होंगे। कोरोना महामारी को देखते हुए इस साल भी प्रवेश परीक्षा से ही दाखिले लिए जाएंगे।

 

डीयू में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की 50 फीसदी सीटों पर प्रवेश परीक्षा के जरिए जबकि अन्य 50 फीसदी सीटों पर डीयू से स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को मेरिट के आधार पर दाखिला मिलता है। इस तरह से डीयू से स्नातक करने वालों को मेरिट के आधार पर दाखिला मिलता है।

 

डीयू दाखिला डीन प्रो राजीव गुप्ता ने बताया कि इस बार डीयू में दाखिला प्रक्रिया में बदलाव नहीं किया गया है। दाखिले केलिए किसी तरह का अतिरिक्त क्राइटेरिया नहीं लगाया जाएगा। कोरोना को देखते हुए बीते साल की तरह ही एक बार फिर से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिले प्रवेश परीक्षा के आधार पर होंगे। इस साल भी साक्षात्कार नहीं लिया जाएगा। डीयू ने इस साल भी बीते साल वाली व्यवस्था से ही दाखिला लेने का निर्णय लिया है।

डीयू में आगामी 26 जुलाई से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में पंजीकरण प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह प्रक्रिया 21 अगस्त को समाप्त होने जा रही है। डीयू में स्नातकोत्तर स्तर के 70 से अधिक पाठ्यक्रम की 20 हजार सीटों पर दाखिले होंगे। दाखिले के लिए पोर्टल 25 जुलाई को लांच किया जाएगा।

ओबीसी विद्यार्थियों के जाति प्रमाणपत्रों को तीन साल की छूट मिले
दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए दाखिला प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। दाखिला प्रक्रिया केलिए ओबीसी श्रेणी के विद्यार्थियों को जाति प्रमाणपत्र बनवाने में दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में कोटे के विद्यार्थियो के जाति प्रमाणपत्रों को तीन साल की छूट दिए जाने की मांग उठने लगी है। आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन(डीटीए) ने डीयू कुलपतिप्रो पीसी जोशी व डीन ऑफ कॉलिजेज डॉ बलिराम पाणी से ओबीसी विद्यार्थियों केजाति प्रमाणपत्रों को तीन साल की छूट दिए जाने की मांग की है।

डीटीए अध्यक्ष डॉ हंसराज सुमन ने बताया कि बीते डेढ़ साल से एसडीएम कार्यालय व तहसील कार्यालय में कोविड-19 केकारण विद्यार्थियों के जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहे हैं। ना ही जाति प्रमाणपत्रों का नवीनीकरण हो पा रहा है। ऐसे में जिनकेपास पुराना जाति प्रमाणपत्र है उसे स्वीकार कर दाखिला दिया जाए। ओबीसी कोटे के जिन विद्यार्थियों ने वर्ष 2019 में अपने जाति प्रमाण पत्र बनवाए थे उन्हें स्वीकार करते हुए दाखिला दिया जाए।

उन्होंने कहा कि दाखिले के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही कॉलेजों में एडमिशन लेने की पहली लिस्ट जारी की जाएगी । पहली लिस्ट के छात्रों को एडमिशन लेने के लिए तीन दिन का समय दिया जाता है । ऐसी स्थिति में जिन ओबीसी कोटे के विद्यार्थियों के पास पुराने जाति प्रमाण पत्र है उन्हें स्वीकार करते हुए एडमिशन दिया जाए। ऐसे विद्यार्थियों से कॉलेज-संस्थान अंडरटेकिंग फॉर्म भरवा लें।

डॉ सुमन ने बताया कि बीते वर्ष भी ओबीसी कोटे के छात्रों के जाति प्रमाण पत्रों के न बनने के कारण वे दाखिले के लिए पंजीकरण नहीं करा पाए। बाद में कॉलेजों ने ओबीसी कोटे के विद्यार्थियों की सीटें खाली दिखा दी। यदि बीते साल यह छूट मिलती तो ओबीसी कोटे की सीटें खाली नहीं रहती।

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