राजधानी में पानी की किल्लत : दिल्ली सरकार की हरियाणा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
दिल्ली सरकार ने रविवार देर शाम पेयजल किल्लत को लेकर हरियाणा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से दाखिल याचिका में शीर्ष अदालत से हरियाणा सरकार को दिल्ली के हिस्से का पानी देने का निर्देश देने की मांग की गई है।
बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने बताया कि दिल्ली को उसके हक का पानी देना हरियाणा की कानूनी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया दिल्ली में वजीराबाद के पास यमुना में पानी सूख गया है। यहां यमुना का स्तर 674.5 फीट होना चाहिए, जो घटकर 667 फीट रह गया है।
बोर्ड उपाध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के 1995-96 के निर्णय का भी हवाला दिया, जिसमें हरियाणा को पानी देने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, वर्ष 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने तय किया था कि दिल्ली को पानी हरियाणा देगा, लेकिन इस फैसले को न मानकर पड़ोसी राज्य शीर्ष अदालत के आदेश की अवहेलना कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि दिल्ली में पानी संकट हरियाणा सरकार की वजह से है।
दिल्ली एक लैंड लॉक शहर है यानी, वह पड़ोसी राज्यों की आबादी से घिरा हुआ है। दिल्ली के पास पानी का अपना कोई स्रोत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार गंगा से, हरियाणा सरकार यमुना से और पंजाब सरकार भाखड़ा बांध से दिल्ली को रोजाना जलापूर्ति करेगी।
पहले भी सुप्रीम कोर्ट जा चुका है जल बोर्ड
इससे पहले जनवरी में आप पार्टी ने जल बोर्ड के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उस समय आप ने बोर्ड के माध्यम से कोर्ट से हरियाणा को प्रदूषति सामाग्री के प्रवाह को रोक पानी छोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। इसके बाद कोर्ट ने 26 मार्च को हरियाणा सरकार व अन्य को दिल्ली में पानी की यथास्थिति बनाए रखने के लिए निर्देश दिया था।
अप्रैल में निरीक्षण के लिए गठित हुई थी कमेटी
पानी के संकट को लेकर गत अप्रैल में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने पानी की आपूर्ति के निरीक्षण को लेकर कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी को तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। समिति को पल्ला क्षेत्र में यमुना के आने वाले पानी की भी जांच करने के लिए कहा गया था। साथ यह भी सुनिश्चित करना था कि दिल्ली अपने हिस्से का पानी कहीं और तो नहीं दे रही है। इसमें केंद्र के साथ-साथ दिल्ली-हरियाणा सरकार के सदस्यों को भी शामिल किया गया था।
अमोनिया की मात्रा बढ़ने के लिए हरियाणा को बताया था जिम्मेदार
जल बोर्ड ने पूर्व में पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने पर हरियाणा सरकार को जिम्मेदार बताया था। इसे लेकर बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि हरियाणा की ओर से छोड़ा जा रहा पानी साफ नहीं है। पानी में अमोनिया की मात्रा बहुत अधिक आ रही है। इसको देखते हुए कोर्ट ने हरियाणा सरकार के तर्क पर भाखड़ा नंगल बांध से कम पानी छोड़े जाने पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा था।
200 एमजीडी का संकट
दिल्ली में पेयजल आपूर्ति और मांग में 200 एमजीडी का अंतर है। वर्तमान में दिल्ली की प्रतिदिन की मांग 1140 एमजीडी बनी हुई है, जबकि केवल 940 एमजीडी पानी ही उपलब्ध हो रहा है। इस वजह से दिल्ली वासियों के लिए 200 एमजीडी पानी की कमी बनी हुई है।दिल्ली में नौ जल शोधन केंद्रों से कुल 816 एमजीडी पानी की आपूर्ति होती है। इसके अलावा चार शोधन केंद्रों से कुल 45 एमजीडी पानी को साफ किया जाता है। सबसे अधिक क्षमता हैदरपुर जल संयंत्र की है जो 220 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है। इसके अलावा सोनिया विहार 144, वजीराबाद 124, भगीरथी 100, चंद्रावल 98, द्वारका 50, नांगलोई 40, ओखला 20 व बवाना 20 एमजीडी पानी की आपूर्ति करता है।
इस तरह मिलता है दिल्ली को पानी
दिल्ली के अपने पास पानी के स्त्रोत की कमी है। यह 90 फीसदी पड़ोसी राज्यों पर निर्भर रहती है। इस वजह से उत्तरप्रदेश से गंग नहर से दिल्ली को कच्चा पानी प्राप्त होता है। इस पानी को भागीरथी व सोनिया विहार जल शोधक संयंत्र में साफ किया जाता है। दूसरी ओर, यमुना नदी और पश्चिम यमुना नहर से दिल्ली को हरियाणा से कच्चा पानी प्राप्त होता है। जोकि बाहरी इलाकों में शामिल पल्ला से दिल्ली की सीमा में प्रवेश करता है। इस पानी को जल बोर्ड के अन्य जल शोधक संयंत्र में शोधित किया जाता है।
पूर्व में उपराज्यपाल भी मांग चुके हैं पानी पर रिपोर्ट
दिल्ली में गहराए पानी संकट को लेकर उपराज्यपाल अनिल बैजल पूर्व में जल बोर्ड व एनडीएमसी अधिकारियों से पानी आपूर्ति की रिपोर्ट मांग चुके हैं। इसमें उन्होंने दिल्ली को मिलने वाले पानी व आपूर्ति को लेकर रिपोर्ट जमा कराने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी पानी संकट को खत्म करने के लिए बातचीत की थी।