वाराणसी : गंगा में डाला जा रहा काशी विश्वनाथ धाम का मलबा, गंगाजल से उठ रही बदबू, प्रवाह बाधित
वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण गंगधार से बाबा दरबार को एकाकार करने के लिए किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ धाम से निकलने वाले मलबे को ललिता घाट के आगे गंगा में ही डालकर छोड़ दिया गया है। इसके कारण घाट पर गंगा के पानी से बदबू उठने लगी है, वहीं पानी में गंदगी भी जमा हो चुकी है। इसके कारण वहां एक मिनट ठहरना भी अब मुश्किल हो चुका है।
मीरघाट से जैसे ही ललिता घाट की तरफ आगे बढ़ते हैं तो घाट किनारे मलबे का ढेर लगा हुआ है। स्थानीय लोगों ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम में चल रहे तोड़फोड़ और निर्माण के बाद निकले मलबे को गंगा में ही निस्तारित किया जा रहा है। मीरघाट और ललिताघाट के पहले गंगा में ही मलबे का ढेर जमा हो चुका है। उसके आगे ललिता घाट पर बन रहे रैंप से सटे मलबे और गंदगी का ढेर जमा हो चुका है। इसके कारण यहां पर गंगा का प्रवाह बाधित हो रहा है।
अब जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ता जाएगा मलबा धीरे-धीरे गंगा की तलहटी में समाहित होता जाएगा। मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि गंगा में मलबा डालने की जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो उसको हटवाया जाएगा। वहां पर निर्माण कार्य चल रहा है हो सकता है सिल्टिंग के दौरान मिट्टी जमा हो गई हो।
शैवाल ने बढ़ाई समस्या
कुछ दिनों पहले गंगा में हरे शैवाल के कारण अस्सी से ललिता घाट के बीच कई जगहों पर गंगाजल का रंग हरा हो गया था। इस मामले की जब जांच कराई गई तो जिला प्रशासन ने बताया था कि मिर्जापुर से एसटीपी से बहकर यह शैवाल आए हैं। वहीं आईआईटी बीएचयू के नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी ने प्रशासन की रिपोर्ट को खारिज करते हुए पीएम और सीएम को पत्र लिखकर कहा था कि यह शैवाल एसटीपी से नहीं ललिता घाट पर गंगा की धारा को रोकने के कारण गंगा में पैदा हुए हैं।