ईयू के सात देशों और स्विट्जरलैंड ने दी कोविशील्ड को मंजूरी ,भारतीय कर सकेंगे यूरोप की यात्रा
कोरोना वायरस का कहर कम होने के बाद यूरोप जाने की चाहत रखने वाले भारतीयों के लिए टीकाकरण के बाद खड़ा हुआ संकट अब खत्म हो गया है। विदेश की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे भारतीय नागरिकों के लिए खुशखबर है। अब वे भारतीय यूरोपीय देशों की यात्रा पर जा सकेंगे। यूरोपीय संघ (ईयू) के सात देशों और स्विट्जरलैंड ने भारत की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को मान्यता दे दी है।
Union Health Minister tweets facts regarding nationwide #COVID19 vaccination drive
"I'm seeing irresponsible statements from various leaders regarding largest vaccine drive. I request them to desist from their shameless urge to play politics even in midst of pandemic," he tweets pic.twitter.com/AJ5vIAa6iy
— ANI (@ANI) July 1, 2021
यूरोपीय संघ की ओर से भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड लगवाने वालों को ग्रीन पास न देने पर मचा बवाल अब थम गया है। बता दें कि यूरोपीय संघ की ओर से भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड को मंजूरी नहीं दी गई थी, जिससे इस वैक्सीन को लगवाने वालों को ग्रीन पास नहीं मिल रहा था। इस मामले को भारत सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया। यूरोपीय संघ के रुख से नाराज भारत ने चेतावनी दी है कि अगर वह भारतीय टीकों को मान्यता नहीं देता तो जवाबी कार्रवाई में भारत यूरोप से आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिन का क्वारंटीन अनिवार्य कर देगा।
आज से प्रभाव में आएगी ग्रीन पास योजना
यूरोपीय संघ की डिजिटल कोविड प्रमाणपत्र योजना या ‘ग्रीन पास’ योजना गुरुवार से प्रभाव में आएगी, जिसके तहत कोविड-19 महामारी के दौरान स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति होगी। इस रूपरेखा के तहत उन लोगों को ईयू के अंदर यात्रा पाबंदियों से छूट होगी, जिन्होंने यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी (ईएमए) द्वारा अधिकृत टीके लगवाए हैं। अलग-अलग सदस्य राष्ट्रों को उन टीकों को स्वीकार करने की भी स्वतंत्रता है, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर या विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अधिकृत किया गया है।
बता दें कि शुरुआत में यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) ने कोविशील्ड को मंजूरी न देने के पीछे की वजह बताते हुए कहा था कि वैक्सीन के पास वर्तमान में यूरोपीय संघ में मार्केटिंग ऑथराइजेशन नहीं है। कहा था कि मैन्युफैक्चरिंग में जरा से अंतर के चलते तैयार उत्पाद में खासा अंतर हो सकता है क्योंकि टीके जैविक उत्पाद हैं। एजेंसी ने कहा कि यूरोपीय संघ के कानून में मैन्युफैक्चरिंग साइट्स और प्रोडक्शन प्रोसेस का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। किसी भी वैक्सीन की क्लीयरेंस के लिए यह जरूरी है।