दिल्ली: हाईकोर्ट ने गंभीर मानसिक आघात झेल रही एक विवाहिता व उसकी बच्ची को पिता को सौंपने का दिया निर्देश
उच्च न्यायालय ने गंभीर मानसिक आघात झेल रही एक विवाहित महिला व उसकी साढ़े तीन वर्ष की बच्ची को उसके पिता को सौंपने का निर्देश दिया है। पिता ने आरोप लगाया था कि ससुराल पक्ष ने उनकी बेटी को प्रताड़ित करने के अलावा जबरन बंदी बनाकर रखा हुआ है। अदालत ने महिला का इहबास में विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज करवाने का भी निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अवकाश पीठ ने यह निर्देश महिला के पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। पिता ने अपनी शादीशुदा बेटी को पेश करने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि कुछ वैवाहिक कलह के कारण उसे उसके पति, ससुर और सास-ससुर द्वारा अवैध हिरासत में रखा जा रहा है।
याची पिता सुनील गुप्ता ने कहा कि उनके दामाद नितिन गुप्ता और ससुराल वालों की प्रताड़ना के कारण उनकी बेटी मानसिक और शारीरिक यातना के कारण बेटी को गंभीर मानसिक आघात का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं उसकी याददास्त भी कमजोर हो गई है। उन्होंने ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना का मामला भी दर्ज करवाया हुआ है।
सुनवाई के दौरान विडियो कांफ्रेंसिंग में बेटी शामिल हुई, लेकिन अदालत ने पाया कि वह सामान्य नहीं है। वहीं उसके पति ने अदालत को बताया कि वे अपनी पत्नी का इलाज एक अच्छे डॉक्टर से करवा रहे हैं और वह मानसिक रूप से बीमार है। उसने लगाए गए आरोपों को निराधार बताया।
वहीं सरकारी वकील संजय लॉ ने अदालत को बताया कि पिछले सप्ताह ही याची व उनकी पत्नी अपनी बेटी से मिल कर आए हैं। अदालत ने सभी तथ्यों को देखने के बाद कहा उपरोक्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले यह अदालत मानसिक स्वास्थ्य और बेटी की शारीरिक भलाई की स्थिति के बारे में चिंतित है। अदालत ने निर्देश दिया गया कि याची पिता की देखरेख में उनकी बेटी की मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान (आईएचबीएएस) में मानसिक आघात और बीमारियों में विशेषज्ञता रखने वाले डॉक्टर द्वारा जांच की जाए।
अदालत ने कहा कि उनका मानना है कि सुनवाई की अगली तारीख तक महिला व उनकी साढ़े तीन साल की बच्ची याचिकाकर्ता के साथ रहे। अदालत ने महिला के पति को सभी चिकित्सा रिपोर्ट तुंरत याची के सुपुर्द करने का निर्देश देते हुए पुलिस को आदेश का पालन करवाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि डॉक्टरों की राय और मामले में सुझाए गए इलाज की लाइन का ब्यौरा देने वाली स्टेटस रिपोर्ट 5 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख से पहले पेश की जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट को पति या उसके ससुराल वालों के साथ साझा नहीं किया जाएगा।