डिजिटल समाचार मीडिया को विनियमित करने वाले नए आइटी नियमों पर रोक से दिल्ली HC का इनकार

नई दिल्ली, एजेंसी।  दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को अहम सुनवाई के दौरान डिजिटल समाचार मीडिया को विनियमित करने वाले नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस तरह के आदेश को पारित करने पर याचिकाकर्ताओं के साथ सहमत नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने नए आइटी नियमों को निष्प्रभावी करने का अनुरोध किया गया था, क्योंकि यह समाचारों एवं समसामयिकी के प्रकाशकों को परिभाषित करता है तथा उन पर लागू होता है।

डिजिटल न्यूज मीडिया (Digital News Media) के नियम संबंधी नए सूचना प्रौद्योगिकी (IT Rules) नियमों को चुनौती देने वाली याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने रोक लगाने से इनकार किया है।

याचिका में कहा गया था कि ये डिजिटल न्यूज मीडिया को जबरदस्त एवं गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले हैं और उनके अधिकारों का हनन करते हैं। इसके साथ ही याचिका के जरिये नए आईटी नियमों को निष्प्रभावी करने का अनुरोध किया गया है क्योंकि यह समाचारों एवं समसामयिकी के प्रकाशकों को परिभाषित करता है तथा उन पर लागू होता है।

याचिका के जरिए नए आईटी नियमों को निष्प्रभावी करने का अनुरोध किया गया था, क्योंकि यह समाचारों एवं समसामयिकी के प्रकाशकों को परिभाषित करता है तथा उन पर लागू होता है। फाउंडेशन के अलावा दो अन्य याचिकाकर्ता ‘द वायर’ के संपादक एम. के. वेणु तथा ‘द न्यूज मिनट’ की प्रधान संपादक धन्या राजेंद्रन हैं। याचिकाकार्ताओं ने उच्च न्यायालय से अंतरिम संरक्षण की मांग की थी।

जानिये- क्या हैं नए आईटी नियम?

सोशल मीडिया कंपनियों के लिए 21 फरवरी 2021 को भारत सरकार नई गाइडलाइन लेकर आई। नए नियमों के अनुसार, व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए भेजे और शेयर किए जाने वाले मैसेजेस के ओरिजनल सोर्स को ट्रैक करना जरूरी है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई गलत या फेक पोस्ट वायरल हो रही है तो सरकार कंपनी से उसके ऑरिजनेटर के बारे में पूछ सकती है और सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि उस पोस्ट को सबसे पहले किसने शेयर किया था।

नए आइटी नियम के मुताबिक, सोशल मीडिया कंपनियों को किसी पोस्ट के लिए शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। इसके लिए कंपनियों को तीन अधिकारियों (चीफ कॉम्प्लियांस ऑफिसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस ऑफिसर) को नियुक्त करना होगा।

अधिकारियों के लिए शिकायत का अपडेट देने के लिए 15 दिनों समयसीमा भी तय की गई है. कंपनियों को पूरे सिस्टम पर नजर रखने के लिए स्टाफ रखने को कहा गया है।

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