रद नहीं होंगी 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं, एक जून तक नई तारीखों का एलान संभव

नई दिल्ली। बच्चों के भविष्य को देखते हुए 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद नहीं होंगी। दिल्ली को छोड़कर ज्यादातर राज्यों ने भी 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने का सुझाव दिया है। इन राज्यों ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में अपनी यह राय दी। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह परीक्षाओं को लेकर छात्रों और अभिभावकों में पैदा हुए असमंजस को जल्द ही खत्म करेगी। एक जून या उससे पहले ही इसे लेकर निर्णय हो जाएगा और तिथि भी आ जाएगी।

जुलाई में हो सकता है 12 वीं की परीक्षा का आयोजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर रविवार को 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं सहित प्रतियोगी और प्रवेश परीक्षाओं को लेकर रक्षा मंत्री की अगुआई में बैठक बुलाई गई थी। इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर के साथ ही राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री सहित राज्यों के शिक्षा सचिव, सीबीएसई, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी आदि मौजूद थे।

स्वकेंद्र, समय कम रखने सहित बहु-विकल्पीय तरीके से परीक्षा कराने जैसे प्रस्तावों पर हुई चर्चा

करीब तीन घंटे चली इस बैठक में परीक्षा कराने के विकल्पों को लेकर राय अलग-अलग थी। 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने को लेकर राज्यों के साथ रखी गई इस बैठक में परीक्षा के विकल्पों पर भी लंबी चर्चा हुई। परीक्षाओं के लिए स्वकेंद्र रखने पर सहमति बनी। साथ ही परीक्षाओं को तीन घंटे से कम समय यानी डेढ़ घंटे में कराने की बात हुई। इस दौरान प्रश्नपत्र बहु-विकल्पीय रखने या फिर कुछ प्रमुख विषयों की ही परीक्षा कराने जैसे सुझाव दिए गए। इस दौरान यह राय भी दी गई कि छात्रों से पूछकर ही परीक्षा वाले विषयों का चयन किया जाए। बाकी विषयों में उनके प्रदर्शन के आकलन के आधार पर अंक दिए जाएं। इस दौरान सीबीएसई ने भी राज्यों के सामने परीक्षा के दो विकल्प रखे।

राज्यों से 25 मई तक मांगे गए विस्तृत सुझाव

केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक ने सभी राज्यों से इस संबंध में 25 मई तक विस्तृत राय देने को कहा है। माना जा रहा है कि राज्यों की राय के आने के बाद पूरी रिपोर्ट प्रधानमंत्री के सामने रखी जाएगी। माना जा रहा है कि राज्यों को अपनी सुविधा के आधार पर विकल्प चुनने की छूट दी जाएगी। साथ ही जो फैसला होगा, वह छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा को देखते हुए लिया जाएगा, लेकिन परीक्षा होगी।

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