डीआरडीओ ने विकसित की एंटीबॉडी डिटेक्शन आधारित किट, कोरोना के इलाज में है मददगार
नई दिल्ली, एएनआइ। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने कोरोना की जल्द जांच के लिए एक एंटीबॉडी टेस्ट किट विकसित की है। डीआरडीओ की लैब ने सीरो-निगरानी के लिए एंटीबॉडी डिटेक्शन आधारित किट डिपकोवन (DIPCOVAN), DIPAS-VDx COVID 19 IgG एंटीबॉडी माइक्रोवेल एलिसा विकसित की है। डीआरडीओ की यह किट 97 फीसद की उच्च संवेदनशीलता और 99 फीसद की विशिष्टता के साथ कोरोना वायरस के स्पाइक के साथ-साथ न्यूक्लियोकैप्सिड (S&N) प्रोटीन का पता लगा सकती है। यह जानकारी डीआरडीओ द्वारा दी गई है।
पूरी तरह स्वदेशी है यह किट
इसे दिल्ली स्थित वैनगार्ड डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है। ये किट पूरी तरह स्वदेशी है और इसे भारत के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इसके बाद दिल्ली के विभिन्न कोरोना अस्पतालों में 1000 से अधिक रोगियों के नमूनों पर व्यापक जांच के बाद इसकी क्षमता सत्यापित की गई। बाजार में इसके आने से कोरोना के एंटीबॉडी टेस्ट में काफी मदद मिलेगी और टेस्ट की गति बढ़ जाएगी।
कुछ ही दिन पहले ही लॉन्च की गई डीआरडीओ की 2-डीजी दवा
बता दें कि कुछ दिन पहले ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की नई दवा 2-डीजी लॉन्च की गई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की मौजूदगी में इस दवा की लॉन्चिंग की गई थी। ऑक्सीजन की कमी से जूझने वाले कोरोना संक्रमितों के लिए यह दवा बेहद मददगार पाई गई है। यही नहीं इससे मरीजों की जल्द रिकवरी भी होती है।
2 DG को इस तरह किया जा सकता है उपयोग
तीन ट्रायल के बाद 1 मई 2021 को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की ओर से इसके आपातकाल उपयोग की अनुमति मिल गई। पाउडर के रूप में इस ड्रग को एक सैशे (sachet) में दिया जाएगा जो पानी में घोलकर लेना होगा। यह संक्रमित कोशिकाओं पर जाकर वायरस की वृद्धि को रोकने में सक्षम है। डीआरडीओ द्वारा बनाई गई 2DG दवा को डॉक्टर की सलाह के आधार पर ही लिया जाना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर इसे कम से कम 5-7 दिन सुबह-शाम दो बार लेना होता है।