कोरोना संक्रमण: प्लाज्मा लेने वालों को तीन महीने से पहले वैक्सीन नहीं

कोरोना संक्रमण के दौरान जो लोग प्लाज्मा ले चुके हैं उन्हें वैक्सीन के लिए कम से कम तीन माह का इंतजार करना पड़ सकता है। इसके अलावा कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ्य हुए व्यक्तियों के लिए छह से नौ माह बाद ही वैक्सीन दिया जाए। राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने यह सुझाव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा है।

 

कोविड उपचार प्रोटोकॉल से प्लाज्मा थेरेपी को हटाने के बाद टीकाकरण को लेकर गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने संक्रमण से ठीक होने वालों को वैक्सीन कब तक दिए जाने को लेकर समीक्षा बैठक की थी जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययनों पर भी लंबी चर्चा की।

 

एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद एक व्यक्ति में एंटीबॉडी नौ माह तक मिल रही हैं। ऐसे में इन व्यक्तियों को वैक्सीन लेने की आवश्यकता इस अवधि तक नहीं है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन की एक खुराक लेने के बाद किसी भी व्यक्ति में एंटीबॉडी बनने लगती हैं।

दूसरी खुराक लेने के बाद यह एंटीबॉडी बूस्ट हो जाती हैं और इनका स्तर 100 फीसदी तक पहुंच जाता है। अगर कोई कोरोना संक्रमण से ठीक हुआ है तो उसके शरीर में पहले से ही एंटीबॉडी होती हैं जोकि छह से नौ माह बाद कम होने लगती हैं। तब उस व्यक्ति को वैक्सीन लगाना ज्यादा और लंबे समय तक असरदार हो सकता है।

हालांकि संक्रमण से ठीक होने के बाद वैक्सीन लेने की अवधि को लेकर अब तक सरकार के विशेषज्ञ सटीक जानकारी नहीं दे पाए हैं। पिछले माह नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि संक्रमण से ठीक होने के छह से आठ सप्ताह बाद वैक्सीन ली जा सकती है लेकिन पिछले सप्ताह उन्होंने कहा कि अगर कोई कोरोना संक्रमित है तो स्वस्थ्य होने के छह माह बाद वैक्सीन ले सकता है।

नई दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के भी यह बयान सामने आए थे। जबकि वर्तमान स्थिति यह है कि संक्रमण से रिकवर होने के चार से आठ सप्ताह बाद लोगों को वैक्सीन दी जा रही है।

कोविशील्ड की दो खुराक के बीच 12 से 16 सप्ताह का अंतर रखने की सिफारिश करने वाली राष्ट्रीय टास्क फोर्स का कहना है कि पहली लहर के दौरान दोबारा संक्रमण की दर 4.5 फीसदी तक थी। यह भी देखने को मिल चुका है कि संक्रमण से ठीक होने के तीन माह बाद लोगों में एंटीबॉडी कम होने लगती हैं।

आईसीएमआर का ही एक अध्ययन है कि कोरोना से रिकवर होने वाले व्यक्ति में छह महीने तक एंटीबॉडी मिल रही हैं लेकिन सबसे अधिक एंटीबॉडी शुरूआती तीन महीने में दिखाई दे रही हैं। सीएसआईआर भी इसे लेकर एक अध्ययन कर चुका है जिसके परिणाम भी लगभग एक जैसे हैं।

इसके अलावा राष्ट्रीय टास्क फोर्स में मौजूद सदस्यों ने यह भी सिफारिश की है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से बीमार है या अस्वस्थ्य महसूस कर रहा है तो उन्हें वैक्सीन तब तक नहीं लेनी चाहिए जब तक कि वे खुद को पूरी तरह से स्वस्थ्य महसूस न कर लें। हालांकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के वैक्सीन को लेकर अभी तक विशेषज्ञों ने फैसला नहीं लिया है।

यह भी देखे:-

LOCK DOWN में इस गाँव के घर में चल रहा था कच्ची शराब बनाने का धंधा, दो गिरफ्तार
ग्रेटर नोएडा: किसानों का एक दल पहुँचा डीएम ऑफिस, पढें पूरी ख़बर
वैक्सीनेशन पर यूपी सरकार का बड़ा फैसला
अगले हफ्ते बुलाई जाएगी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक, पार्टी अध्यक्ष के चुनाव पर खत्म होगा असमंजस!
अंग्रेजी भाषा क्रियात्मक मिलन में कई स्कूल के बच्चे व शिक्षक हुए शामिल
50 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन का होगा आयात, आपूर्ति सुचारू करने में जुटी सरकार, उठाए कई कदम
भारत ने जीती वैक्सीनेशन की रेस, अमेरिका-ब्रिटेन को छोड़ा पीछे, 18 दिन में 45 फीसदी लोगों को लगा टीका
अंडरवर्ल्ड से हैं नवाब मलिक के संबंध-देवेंद्र फडणवीस, खुद पर लगे आरोपों का दिया करारा जवाब
गोरखपुर दौरा: आज दो विश्वविद्यालयों की सौगात देंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, यहां देखें पूरा शेड्यूल
5G टेक्नोलॉजी का हमारे जीवन पर किस तरह से होगा असर
उत्तर प्रदेश में यूपी के ये जिले RED और GREEN ZONE में, जानें क्‍या खुलेगा-क्‍या रहेगा बंद
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर भाजपा गौतमबुद्ध नगर ईकाई की बैठक
Yamuna Authority की 79वीं बोर्ड बैठक सम्पन्न, जानिए क्या खास निर्णय लिए गए
आम जनता को महंगाई की मार, आज फिर बढ़ा पेट्रोल-डीजल का दाम, जानें अपने शहर का रेट
कोरोना टीकाकरण: अगले दो दिन नही लगेगा टीका ,जाने क्यों
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में UP ने लगाई 12 पायदान की छलांग, निवेशकों की नजर में चढ़ गया उत्तर प्रदेश