कटाक्ष : जनता देख रही है साहब जी..-रोहित कुमार
(कटाक्ष:रचनाकार का व्यंग निजी है ग्रेनोन्यूज का उससे कोई संबंध नहीं है!)
जनता देख रही है साहब जी
आज जब नव विवाहिता अपने दूधमुंहे बच्चे को छोड़कर आपके लचर व्यवस्था के भेट चढ़ गई, तो जब बच्चा बड़ा होकर पूछेगा कहां गई मेरी मां तो सब लोग जरूर इसे बताएंगे।
मोदी नाम का था एक साहब वेष था उसका साधु जैसा पर सज्जन ना समझना ।
कुर्सी उसका भूख था, रैली उसका शौक।
कोरोना का एक छोटा सा वाहक था ,बिहार के रास्ते कुर्सी पर आया ,शौक ना पूरा हुआ तो बंगाल के सहारे पसर गया ।।
सुनो बच्चा साहब का भी एक उस्ताद था कहने को तो शिव सैनिक था लेकिन शिव शंकर सा विस पी न सका ,उल्टा उसने विष ऐसा फैलने दिया की माया नगरी ही सो गया।
तब दिल्ली से निकला एक जालसाज जिसने सड़कों से लेकर शमशान तक सबको असहाय बनाकर रुला दिया।
अब क्या बताऊं बच्चा तुमको लोग कहते थे कि कोरोना था, जिसने तुम्हारी मां को छीन लिया।
जनता देख रही है साहब जी,
साहब हमने माना कि आपदा है लेकिन जो व्यवस्था आप 1 साल बाद भी कुछ नहीं बेहतर दे पाए तो यह तय करना होगा दोषी कौन है, और जब तक यह तय नहीं होता कि दोषी कौन है,
तब तक दोषी साहब आप ही कहे जाएंगे।
रोहित कुमार