कोरोना की लहर बेकाबू : नौ माह तक नहीं बदला उपचार प्रोटोकॉल, बेपरवाह रहे अफसर
देश में महामारी की लहर बेकाबू है और 15 दिन से ऑक्सीजन, अस्पतालों में बिस्तर, रेमडेसिविर, प्लाज्मा, टोसिलिजुमाब दवा की किल्लत बनी हुई है। ऐसे हालात इसलिए पैदा हुए क्योंकि नौ महीने तक देश के कोविड उपचार प्रोटोकॉल में बदलाव नहीं हुआ।
राष्ट्रीय टास्क फोर्स भी दो महीने खामोश रही। सूत्रों के मुताबिक टास्कफोर्स की बैठक गत 11 जनवरी को हुई थी। एक फरवरी को एक दिन में 11427 मामलों के बावजूद फरवरी-मार्च में एक भी बैठक नहीं हुई।
एक अप्रैल को देश में 72, 330 व पांच अप्रैल को पहली बार एक लाख से अधिक मामले देखे, तब भी टास्कफोर्स नहीं बैठी। नौ अप्रैल को जब एक दिन में मरीज 1.31 लाख से अधिक हुए, फिर 13 अप्रैल के बाद से दो लाख हुई, तब जाकर टास्कफोर्स की 15 व 21 अप्रैल को बैठक हुई।
नए प्रोटोकॉल का फायदा भी निजी अस्पतालों को
उपचार प्रोटोकॉल तैयार करने की जिम्मेदारी आईसीएमआर पर थी। टास्कफोर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रोटोकॉल में आखिरी बदलाव तीन जुलाई 2020 को हुआ था। नौ महीने तक आईसीएमआर ने सुध नहीं ली।
इसी बीच डब्ल्यूएचओ ने रेमडेसिविर इंजेक्शन को मरीजों की मौत रोकने में बेअसर बताया था। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने प्लाज्मा थेरैपी को भी अधिक कारगर नहीं माना था। जबकि अमेरिका, यूके, इटली, फ्रांस, रूस सहित दूसरे देशों में प्रोटोकॉल बदलता रहा।
21 अप्रैल को टास्क फोर्स की बैठक में सवाल उठे, तो 22 अप्रैल को आईसीएमआर ने एम्स के सहयोग से नया प्रोटोकॉल जारी किया। निजी अस्पतालों ने इसका फायदा उठाया और अत्यधिक मात्रा में मरीजों को लिखते रहे।
फरवरी मध्य में ही दूसरी लहर के मिले संकेत
टास्कफोर्स के ही एक सदस्य ने पुष्टि की है कि कोरोना की दूसरी लहर के संकेत फरवरी मध्य में ही मिलने लगे थे। महाराष्ट्र में मामले बढ़ने लगे थे और वहां नए वेरिएंट से पता चल रहा था कि देश में दूसरी लहर अधिक तेज हो सकती है। टास्कफोर्स में वैज्ञानिक सदस्य सचेत कर रहे थे, लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया।
लॉकडाउन पर नहीं ली जानकारी
एक सदस्य के अनुसार, पिछले वर्ष लॉकडाउन पर विशेषज्ञों से जानकारी नहीं ली गई। बिना बैठक टीकाकरण शुरू कर दिया। इसी बीच पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा हो गई, उसके परिणाम सामने हैं। पहले बंगाल में रोजाना पांच हजार मरीज मिल रहे थे अब 10 हजार से अधिक है। वहां नया वेरिएंट भी मिल गया है।
सीरो सर्वे, जीनोम सीक्वेसिंग तक ने चेताया
सदस्यों के अनुसार दूसरी लहर से पहले भारत का अपना सीरो सर्वे था। 10 हजार सैंपल की जीनोम सीक्वेसिंग थी। चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया गया। आईसीएमआर के सीरो सर्वे में 25 फीसदी आबादी में संक्रमण और 75 फीसदी को हाई रिस्क का पता चला था। तीन विदेशी और चार स्वदेशी वेरियंट मिले। महाराष्ट्र में दोहरा म्यूटेशन तक पाया गया जो देश को अलर्ट करने के लिए काफी था।