कोरोना के रोगी भगवान भरोसे : ऑक्सीजन के साथ डॉक्टरों का संकट, 150 से ज्यादा छुट्टी पर निकले

कोरोना महामारी का चौथी बार सामना कर रही दिल्ली में अब स्वास्थ्य सिस्टम पूरी तरह से लडख़ड़ा चुका है। हालात ऐसे हैं कि अस्पताल में न बेड, न प्लाज्मा, न रेमडेसिविर और न ही ऑक्सीजन है। इसी बीच डॉक्टरों का संकट भी अस्पतालों में होने लगा है। अब तक 150 से ज्यादा डॉक्टर छुट्टी पर जा चुके हैं जिनमें से कुछ कोरोना संक्रमित हैं तो कुछ ने मेडिकल लीव ली है।

 

हालात ऐसे हैं कि कोरोना मरीजों का उपचार करने के लिए दांत, यूनानी और सिद्घा वाले ड्यूटी दे रहे हैं। कई अस्पतालों के आईसीयू में बीएएमएस और बीएचएमएस के डिग्री धारक हैं। इसके अलावा डॉक्टरी सीखने वाले मेडिकल छात्रों के भरोसे इस वक्त कोविड उपचार सिस्टम है। अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर फोन पर ही इन्हें उपचार करने के तरीके बता रहे हैं।

 

जानकारी के अनुसार दिल्ली एम्स में अब तक एक हजार स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश स्वस्थ्य होकर वापस आ चुके हैं लेकिन अभी भी करीब 250 स्वास्थ्य कर्मचारी होम क्वारंटीन हैं। इनके अलावा 35 डॉक्टर मेडिकल लीव पर जा चुके हैं। इन डॉक्टरों ने शारीरिक रुप से खुद को अस्वस्थ्य बताया है। ठीक इसी तरह दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में भी 10 डॉक्टर अवकाश पर हैं।

सफदरजंग और आरएमएल अस्पताल में तो 50 से अधिक डॉक्टर रेजीडेंट और फैकल्टी मिलाकर छुट्टी पर जा चुके हैं। वहीं जीटीबी, राजीव गांधी, डीडीयू, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में भी 20 डॉक्टर अवकाश पर हैं। जबकि इनके अलावा कई डॉक्टर संक्रमित होने के चलते होम आइसोलेशन में भी हैं।

रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना है कि खुद की जिंदगी अब हम खतरे में नहीं डाल सकते हैं। एक समय पहले तक सरकार को कोविड वार्ड में ड्यूटी देने वालों को होटल में क्वारंटीन करती थी। इससे हमारा परिवार सुरक्षित रहता था लेकिन अब ऐसा नियम नहीं है। अस्पताल में ड्यूटी करने के बाद घर पहुंचने पर हमारे परिवार को भी संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के अनुसार डॉक्टरों के क्वारंटीन को लेकर सरकारों को फिर से योजना बनानी चाहिए। पिछले वर्ष होटल में ठहराव की सुविधा बेहतर थी लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया जबकि वायरस का असर काफी तेज हुआ है। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में डॉक्टरों की कमी के चलते आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और सिद्घा के डॉक्टरों के साथ साथ डेंटल चिकित्सक और यूजी-पीजी के मेडिकल स्टूडेंट्स को कोविड वार्ड में तैनात किया है।

प्राइवेट अस्पतालों में भी हालात ठीक नहीं
जानकारी मिली है कि दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों में भी स्टाफ की समस्या खड़ी हो चुकी है। फोर्टिस, अपोलो, मैक्स सहित कई बड़े अस्पतालों में 24 से अधिक डॉक्टर अब तक कोरोना संक्रमित होने की वजह से होम क्वारंटीन हैं। इनके अलावा 100 और 50 बिस्तर वाले नर्सिंग होम का आंकड़ा इससे अलग है।

एम्स में हालात सबसे खराब, 180 की निकाली भर्ती
दिल्ली एम्स में स्टाफ की कमी के चलते सबसे ज्यादा हालात खराब हैं। यहां 600 से अधिक फैकल्टी के पद कई वर्षों से खाली पड़े हैं। जबकि हाल ही में डॉक्टरों के मेडिकल लीव पर जाने के बाद 180 रेजीडेंट डॉक्टरों के लिए भर्ती निकाली है। इतना ही नहीं एक दिन पहले एम्स के कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. नवीन निश्चल ने विभागों से 80 फीसदी स्टाफ मांगा है लेकिन एम्स के ही विभागाध्यक्षों का कहना है कि उनके पास पहले से ही इसकी कमी है। इतनी जल्दी कैसे स्टाफ को कोविड वार्ड में लगाया जाए?

पिछले साल भी दिया हमें धोखा
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से ही पीजी करने वाले डॉ. विवेक राय का कहना है कि महामारी की लहर आने के बाद अस्पतालों में स्टाफ की कमी को लेकर सरकारें फिक्रमंद होने लगती हैं। पिछले साल भी ऐसे विज्ञापन जारी किए थे लेकिन जब कोरोना शांत हो गया तो सबको नौकरी से निकाल दिया। वहीं सफदरजंग से ही रेजीडेंटशिप पूरी कर चुके डॉ. महेंद्र और आरएमएल से डॉ. रवि मौर्य का भी कहना है कि अस्थायी नियुक्ति पर अब किसी को भरोसा नहीं है। पहले ही उन्हें धोखा मिल चुका है।

 

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