यमुना प्राधिकरण की 61 वीं बोर्ड बैठक
ग्रेटर नोएडा : आज यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण की 61 वीं बोर्ड आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्राधिकरण चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने किया। बैठक समाप्त होने के बाद चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने मीडिया को बैठक की जानकारी दी। उनके साथ सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह भी मौजूद थे।
1. आवासीय भूखण्ड योजना 2009(1) के आवंटियों को कब्जा प्रदान करने की तिथि अक्टूबर/नवम्बर, 2013 थी। परन्तु वास्तवित रूप से भूमि पर कब्जा लिये जाने का कार्य शासनादेश संख्या-1628/77-3-16-06सी/12 दिनांक 14.09.2016 के द्वारा समेकित भूखण्ड पर अतिरिक्त प्रतिकर के वितरण के आदेष तथा तत्पष्चात् 57वीं बोर्ड बैठक की मद संख्या-57/4 में प्रस्तुत प्रस्ताव संचालक मण्डल द्वारा इसे अंगीकृत किये जाने के उपरान्त ही माह नवम्बर, 2016 से अतिरिक्त प्रतिकर वितरण की कार्यवाही षुरू हुई। अतः उल्लिखित कब्जा दिये जाने की तिथि अक्टूबर/नवम्बर, 2013 से अक्टूबर/नवम्बर, 2016तक तीन वर्श की अवधिशून्य काल (zero period) घोषित किया गया है। अतः इस प्रकार अब आवंटी नवम्बर, 2019 तक अथवा कब्जा प्राप्ति की तिथि, जो भी पहले हो, तक अवशेष धनराशि का भुगतान कर सकते हैं।
2. यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण द्वारा इस माह से निम्नलिखित योजनायें लाये जाने का निर्णय लिया गया है :-
औद्योगिक भूखण्डों की 4000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल की योजना।
संस्थागत भूखण्डों की योजना।
वाणिज्यिक परिसर में निर्मिल दुकान, षोरूम तथा कार्यालय स्थल की योजना।
लेफ्ट आउट बिल्टअप आवासीय भवनों की योजना।
मिक्स लैण्ड यूज के भूखण्डों की योजना।
उपरोक्त योजनाओं में से औद्योगिक, संस्थागत तथा मिक्स लैण्ड यूज की योजनायें ओपन एण्डिड स्कीम के अन्तर्गत प्रकाषित की जायेंगी। वाणिज्यिक योजना बन्द निविदा के आधार पर जारी की जायेंगी। बाकी अन्य सभी योजनाओं एक माह की अवधि हेतु प्रकाषित की जायेंगी।
3. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास क्षेत्र महायोजना (प्रथम चरण) के भू-उपयोग मानचित्र में जेवर के समीप ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट एण्ड एवियेशन हब की स्थापना हेतु भू-उपयोग संषोधन तथा सम्बंधित प्राविधानों को महायोजना प्रतिवेदन में समायोजित किये जाने सम्बंधित प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया। अब तदनुसार महायोजना (प्रथम चरण) में संशोधन हेतु प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जायेगा। साथ ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट एण्ड एवियेशन हब की स्थापना के सम्बंध में वर्तमान समय तक की कार्यवाही से बोर्ड को भी अवगत कराया गया।
4. यमुना एक्सप्रेसवे पर कि0मी0 36.18 पर डी0पी0आर0 के अनुसार 04 रैम्पस का निर्माण होना था, जिनमें से 02 लूप का निर्माण कार्य पूर्ण है एवं 02 रैम्प का निर्माण कार्य कंषैसयनार स्तर पर लम्बित है। जेवर में हवाई अड्डे के निर्माण के पष्चात जेवर क्षेत्र में यातायात घनत्व बढ़ने की प्रबल सम्भावना के दृष्टगत कि0मी0 36.18 पर 02 और लूपों का निर्माण कंशैसयनायर से बनवाये जाने का निर्णय लिया गया है। कंशैसयनायर द्वारा बाजना में निर्मित कराये जा रहे इंटरी एवं एक्सिट रैम्प पर आने वाले व्यय की प्रतिपूर्ती कि0मी0 36.18 पर प्र्रस्तावित लूपों के निर्माण का कार्य पूर्ण होने पर प्राधिकरण द्वारा कंशैसयनायर को किये जाने का निर्णय लिया गया है।
5. प्राधिकरण द्वारा जेवर अण्डर पास से स्यारौल अण्डर पास तक सडक (हालेज रोड़) के निर्माण / मरम्मत का कार्य स्वयं किये जाने का निर्णय लिया गया है। इसकी प्रतिपूर्ती कंशैसयनायर से की जायेगी।
6. प्राधिकरण द्वारा यमुना एक्सप्रेसवे के सामान्तर बनाई जा रही 60 मी0 की सडक हेतु अर्जित किये गये पॉंच ग्रामों अर्थात भाईपुर ब्रहमनान, मौहम्मदपुर खेडा, मेहन्दीपुर बांगर, तिरथली तथा करौली बांगर के कृशको को 227.60 रूपये/प्रति वर्ग मीटर की धनराषि का भुगतान किया जाने का निर्णय लिया गया है। उक्त 60 मी0 रोड पर पड रही भूमि के भ-स्वामियों को पूर्व में पुराने भू-अर्जन अधिनियम-1894 की धारा 11(2) के अंतर्गत करार नियमावली के अंतर्गत भू-स्वामी प्रतिकर प्राप्त करते थे लेकिन दिनलांक 01.01.2014 से भू-अर्जन अधिनियम 1894 निरसित ;त्मचमंसद्ध हो जाने के कारण नियमावली प्रभावी नहीं रह गई है। तद्नृसार पूर्व निर्धारित 1600 रूपये/ प्रति वर्गमीटी की दर पर भू-स्वामियों को भुगतान करार के आधार पर नहीं हो रहा है। उक्त 60 मी0 रोड के बीच-2 में छूट गई कुछ भूमि के भू-स्वामियों को प्राधिकरण की 51वीं बैठक दिनांक 15.09.2014 में लिये गये निर्णयों के क्रम में 1827.60 रूपये/प्रति वर्गमीटर की दर से भुगतान किया गया है। अतः उक्त के दृष्टिगत भू-स्वामियों को अंतर धनराशि 227.60 रूपये/प्रति वर्ग मीटर निम्न षर्तों के अंतर्गत किया जाना प्रस्तावित है :-
ऽ अन्तर राशि का भुगतान प्राधिकरण द्वारा मौके पर भूमि का भौतिक कब्जा प्राप्त करते हुये किया जायेगा।
ऽ भू-अर्जन के विरूद्ध लंबित कोई रिट अथवा बाद (यदि कोई है) भू-स्वामी द्वारा वापिस लिया जायेगा।
ऽ भू-स्वामियों द्वारा इस आषय का षपथ पत्र/अनुबंध पत्र प्रस्तुत किया जायेगा कि वह भविश्य में भी विकास कार्यों में काई बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे तथा किसी प्रकार की अतिरिक्त अनुतोश की मांग नहीं करेंगें तथा भू-अर्जन के विरूद्ध कोई वाद योजित नहीं करेंगे।
अंतर धनराशि का भुगतान सभी ग्रामें में समेकित आधार पर ही किया जायेगा न कि बीच-2 में।
7. प्राधिकरण द्वारा ऐसे प्रकरणों जिनमें भू-अर्जन के समय सर्वेक्षण सूची तैयार की गई हो लेकिन अधिनिर्णयों मेंं सम्मिलित न की जा सकी हो में परिसम्पिŸायों की धनराषि का भुगतान किये जाने के सम्बंध में अपर जिलाधिकारी (भू0अ0) की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है जिसमें अधिषासी अभियन्ता-लोक निर्माण विभाग, प्राधिकरण के महा प्रबन्धक/उप महा प्रबन्धक (परियोजना), प्राधिकरण में तैनात डिप्टी कलेक्टर/विषेश कार्याधिकारी (भूलेख), सम्बंधित तहसीलदार तथा वन विभाग के प्रतिनिधि षामिल होंगे। समिति के सत्यापान एवं मूल्यांकन के पष्चात धनराषि का भुगतान मौके पर परिसम्पिŸायों को कब्जे में लेते हुये प्राधिकरण द्वारा किया जायेगा।
8. “Ease of Doing Business” के अंतर्गत 4000 वर्ग मी0 से ऊपर के औद्योगिक भूखण्डों के आवंटन हेतु आब्जेक्टिव क्राइटेरिया तैयार किया गया है, जिसे औद्योगिक भूखण्डों के आवंटन हेतु तैयार किये जा रहे ब्रेषर में सम्मिलित किया जायेगा।
उक्त सम्बंध में यह भी निर्णय लिया गया कि प्राधिकरण द्वारा आवंटित उद्योगों में कम से कम 20 प्रतिशत स्थानीय युवकों/युवतियों को रोजगार दिया जाना आवश्यक होगा।
9. सीएम योगी की प्राथमिकताओं के कार्यक्रमों के अंतर्गत हिण्डन एवं उसकी सहायक नदियों के अविरल एवं निर्मल प्रभाव सुनिष्चित किये जाने हेतु मेरठ मण्डलायुक्त द्वारा चलाये जा रहे अभियान हेतु प्रारम्भिक तौर पर रूपये पॉंच करोड का अंषदान दिये जाने का निर्णय लिया गया।
10. मै. जेपीएसआई को सैक्टर-25 मेंएस.डी.जेड. योजना के अंतगत आवंटित भूखण्ड की देनदारी के सम्बंध में निर्णय लिया गया कि जे0पी0 द्वारा प्राधिकरण को देनदारियों का भुगतान नहीं किया गया है अतः ऐसी स्थिति में डिफाल्ट धनराषि की समानुपातिक धनराषि की भूमि प्राधिकरण द्वारा जेपी से वापिस लेकर डिफाल्ट धनराषि की वसूली की जायेगी।
भविष्य में जब-2 भी उसके द्वारा धनराषि डिफाल्ट की जाये तो उसके अनुपात में ही जमीन वापिस ली जाये।
इसी तरह जेपी द्वारा स्क्रैप की गई विभिन्न परियोजनाओं यथाउड़ान , बुद्धा सर्किट, यमुना विहार आदि के सब-आवंटियों के हित में निर्णय लिया गया कि इस सम्बंध में प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया जाये कि यदि जेपी द्वारा 31 अक्टूबर, 2017 तक अपने सब-आवंटियों को पैसा वापिस करना प्रारम्भ नहीं किया जाता है तो प्राधिकरण द्वाराशासन को संस्तुति की जायेगी कि किसी एजेन्सी के माध्यम से जेपी से समानुपातिक भूमि वापिस ली जाये तथा उसे बेचकर आवंटियों को भुगतान किया जाये।
इसी तरह एल.एफ.डी. योजना में भी जेपी द्वारा स्क्रैप की गई स्कीमों के आवंटियांं को धनराशि वापिस दिलाने के लिये षासन को संस्तुति की जायेगी कि वह कंषैसन एग्रीमेंन्ट में संशोधन कर ऐसी व्यवस्था बनाये जिससे किसी एजेन्सी के माध्यम से जेपी से समानुपातिक भूमि वापिस ली जाये तथा उसे बेचकर आवंटियों को भुगतान किया जाये।
आवंटियो हेतु अनुतोश/सुविधायें/समयविस्तरण
- विभिन्न बैंकों द्वारा पिछले कुछ समय में अपनी ब्याज दरों में कटौती की गई है जिसका लाभ प्राधिकरण को भी मिला है अतः इस स्थिति को देखते हुये प्राधिकरण बोर्ड द्वारा इसका लाभ समस्त योजनाओं के आवंटियों को देते हुये उनसे किश्तों में लिये जा रहे 12 प्रतिशत ब्याज की दर घटाकर 10.65 प्रतिषत किया गया है।
- मै0 एस0डी0एस0 इंफ्राकॉन प्रा0 लि0 के उप आवंटियों (सबलेसी) की मांगों के दृष्टिगत भवन निर्माण पूर्ण कर, बिना विलम्ब षुल्क के, अधिभोग प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु उन्हें 02 वर्श अर्थात 13.08.2017 से 12.08.2019 तक की समयावधि प्रदान की गई है। यह समयवृद्धिकी पैनल्टी मूल आवंटी अर्थात मै0 एस0डी0एस0 इंफ्राकॉन प्रा0 लि0 से वसूल की जायेगी। प्रा0 यह भी सुनिष्चित करे कि बिल्डर द्वारा यह छूट आवंटी पर न लोड की जाये। मै0 एस0डी0एस0 इंफ्राकॉन प्रा0 लि0 को ले-आउट के अनुसार अवषेश विकास कार्यों को पूर्ण करने हेतु 06 माह का समय दिया जाये। यदि उसके द्वारा इस अवधि में भी कार्य पूर्ण न कराये जाये नहीं तो उसकी संपत्ति को कब्जा कर प्राधिकरण उसे बेचकर विकास कार्य पूर्ण करवाये।
- प्राधिकरण द्वारा आवंटित वाणिज्यिक परिसमापत्तियों पर कब्जा न दिये जाने की दषा में आवंटी कोसशर्त धनराशि वापस किये जाने का निर्णय लिया गया।
- प्राधिकरण की विभिन्न योजनाओं (बिल्डर्स टाउनशिप /गु्रप हाउसिंग, वाणिज्यिक, 25-250 एकड़, एल0एफ0डी0 एवं एस0डी0जेड0) के अन्तर्गत वाणिज्यिक भूखण्ड अन्तरण किये जाने हेतु प्रस्तावित नीति को अनुमोदित किया गया।