कोरोना का खतरनाक रूप: मरीजों को बढ़ी सांस की तकलीफ, बहुरूपिये वायरस ने बदले लक्षण

कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश में सोमवार सुबह एक दिन में रिकॉर्ड 2.73 लाख संक्रमित मिले हैं। वहीं, 1600 से ज्यादा की मौत हो गई। पांच दिन से रोज दो लाख से ज्यादा नए संक्रमित आ रहे हैं।

 

इस बीच, एक अध्ययन में वायरस के लक्षणों में भी बदलाव की पुष्टि हुई है। बच्चे और युवा भी संक्रमित हो रहे हैं। अब सांस की दिक्कत ज्यादा होने से मरीजों में ऑक्सीजन की ज्यादा आवश्यकता पाई गई। हालांकि, मृत्युदर में कोई अंतर नहीं पाया गया। दोनों समय 70 प्रतिशत संक्रमित 40 पार के थे।

 

आईसीएमआर और नीति आयोग के देश के 40 अस्पतालों में भर्ती 9,485 मरीजों पर हुए अध्ययन में खुलासा हुआ कि पहली लहर के दौरान 54.9 फीसदी में कम से कम एक बीमारी पहले से थी। अब ऐसे लोगों की संख्या घटी है। अब 48.6 फीसदी मरीजों में ही पहले से एक बीमारी है। यानी 50 फीसदी से अधिक संक्रमितों को पहले से कोई बीमारी नहीं है। पाया गया कि पहले अस्पताल में भर्ती 87.4 फीसदी मरीजों में लक्षण थे, लेकिन अब भर्ती मरीजों में लक्षण वाले 74 फीसदी हैं। यानी बिना लक्षण वाले मरीज भी घबराहट से भर्ती हो रहे हैं। सितंबर से नवंबर 2020 के बीच देश में पहली लहर थी। इस साल मार्च-अप्रैल में दूसरी लहर आई है।

पुरुष संक्रमितों की संख्या बढ़ी
पहली लहर के 7600 और दसूरी में भर्ती 1885 मरीजों पर यह अध्ययन हुआ है। पहली लहर में 64.5 फीसदी पुरुष मरीज थे, लेकिन अब 63.8 हैं। अब महिलाएं भी अधिक संक्रमित हो रही हैं। पिछली बार के 0-19 वर्ष की आयु के 4.2 फीसदी मरीज थे, जो बढ़कर 5.8 फीसदी हो चुके हैं। 20-39 वर्ष आयुवर्ग के मरीजों की संख्या भी 23.7 फीसदी से बढ़कर 25.5 फीसदी हो चुकी है। हालांकि 40 वर्ष या उससे अधिक आयु का प्रतिशत 72.2 फीसदी से घटकर 69.8 फीसदी हो गया है।

अब 54 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन जरूरी
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि पहले सांस लेने में मरीजों को इतनी दिक्कत नहीं थी। 41.7 फीसदी को सांस में दिक्कत थी, अब 47.5 फीसदी हो चुके हैं। मरीजों में तेजी से सांस लेने के लक्षण घटे हैं।
कफ, गले में दर्द, सूंघने की क्षमता न होने, कमजोरी, थकान व मांसपेशियों में दर्द के लक्षण कम, जोड़ों में दर्द के लक्षण भी कम।
दूसरी लहर में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत, क्योंकि नए स्ट्रेन से सांस में दिक्कत हो रही है। पहले 41.1 फीसदी को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी, अब संख्या 54 फीसदी से ज्यादा है।
वेटिंलेटर की जरूरत वाले रोगियों में कमी आई है। पहले 37.3 फीसदी को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी थी, तो अब 27.8 फीसदी को है।

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