फिर दिल्ली चलो: कोरोना के नाम पर किसान आंदोलन को कमजोर करने की साजिश, किसान संघों का आरोप
दिल्ली की सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान संघों ने आरोप लगाया कि आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार कोरोनो वायरस संक्रमण का इस्तेमाल कर रही है। संयुक्त किसान ने स्पष्ट किया कि प्रस्तावित संसद मार्च की तारीख अभी तय नहीं की गई है। मोर्चा ने आरोप लगाया कि किसानों के विरोध को खत्म करने के लिए कोरोना वायरस को एक बहाने के तौर पर उपयोग कर रही है। पिछले साल भी सरकार ने ऐसा ही कर, आंदोलन को खत्म करने की कोशिश की थी।
मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि कोरोनो वायरस पर सरकार का पाखंड उजागर हो गया है। मंत्री और नेता चुनावी रैलियां कर रहे हैं। ऐसे में दूसरों पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। योगेन्द्र यादव ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण के इच्छुक लोगों के लिए सभी धरना स्थल पर शिविर लगाए जा रहे हैं। आंदोलनकारी किसानों की सुरक्षा के लिए ऑक्सीमीटर और एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है ताकि लोगों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
यादव ने कहा कि मास्क लगाने के लिए भी किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत वायरस से बचाव के लिए पंफलेट बांटे जाएंगे तो अपने संबोधन के दौरान भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन स्थलों पर कोरोना संक्रमण के मामले बड़े स्तर पर नहीं आए हैं और न ही हॉटस्पॉट हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन क्लीन का जवाब किसान ऑपरेशन शक्ति से देंगे। इसके लिए 20 से 26 अप्रैल के दौरान सभी मोर्चें पर प्रतिरोध सप्ताह के तौर पर मनाया जाएगा ताकि किसानों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इंतजामों को पुख्ता किया जा सके। 24 अप्रैल से सभी किसानों को ‘फिर दिल्ली चलो’ के नारे के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा।
किसान आंदोलन को और मजबूत करने के लिए 10 मई को देश भर से किसान संगठनों और किसान आंदोलन के हितैषी मजदूर विद्यार्थी युवा और अन्य लोकतांत्रिक संगठनों का के प्रतिनिधियों का एक विशेष सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।