डॉ. पांडा बोले: कोरोना की दूसरी लहर से पहले चेताया गया था, किसी ने नहीं दिया ध्यान
देश में कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेज है। इसके बारे में पहले ही सरकार को चेताया गया था लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। लोगों की लापरवाही और चुनावी राज्यों की हालत पर भी रिपोर्ट दी थी।
आईसीएमआर के संक्रामक रोग प्रमुख ने कहा, जनता और नेता दोनों जिम्मेदार, राज्यों ने कम कर दी जांच
यह खुलासा आईसीएमआर के संक्रामक रोग प्रमुख डॉक्टर समीरन पांडा ने किया है। उन्होंने कहा कि अनलॉक के बाद लोगों का व्यवहार बदलने लगा था लोग कोरोना और नियमों के प्रति बेपरवाह हुए।
सरकार को बार-बार चेतावनी देते रहे वैज्ञानिक, पांच चुनावी राज्यों को लेकर भी बोला गया
दुर्भाग्य यह है कि देश के राजनेता इसमें उनके सहयोगी बने और आज उसका परिणाम पूरी दुनिया देख रही है। एक तरफ सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में लोगों को बताया जा रहा है। लेकिन वहीं चुनावी राज्यों में मंत्री सांसद, विधायक, कार्यकर्ता इत्यादि इन नियमों को तोड़ रहे हैं। चुनाव की घोषणा होने के बाद राज्यों को सतर्क किया था लेकिन वहां के सिस्टम ने देश के संक्रामक रोग विशेषज्ञ की सलाह को दरकिनार कर दिया।
दूसरी लहर को रोकना जनता के हाथ में
डॉक्टर पांडा के अनुसार, इस स्थिति के जिम्मेदार हम सभी हैं। इसमें किसी एक को दोष नहीं दिया जा सकता है। अगर इस लहर को रोकना है तो नेता-जनता दोनों को सावधान होना पड़ेगा। नहीं तो भविष्य में क्या होने वाला है? यह कोई नहीं जानता।
चेतावनी दी तो राज्यों ने जांच ही कम कर दी
आईसीएमआर ने दूसरी लहर आने से पहले राज्य सरकारों को बार-बार चेतावनी दी थी। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, वहां की स्थिति को लेकर भी उन्होंने बताया चेताया था लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया बल्कि कोरोना की जांच और कम कर दी।
चुनावी मंच पर होनी थी चर्चा
डॉक्टर पांडा का मानना है कि अगर चुनावी मंच से प्रचार के साथ कोरोना नियमों को लेकर जागरूकता पर जोर दिया जाता तो शायद आबादी का कुछ हिस्सा इसे समझ सकता।
चुनाव के लिए कम किया कोरोना
बंगाल में पिछले साल अगस्त में 9,91,457 में सैंपल की जांच हुई थी जो मार्च में घटकर 6,12,284 रह गई। असम में जहां अगस्त के दौरान 8.36 लाख जांच हुई थी। वहीं चुनाव की घोषणा होते जांच दर घटने लगी और पिछले महीने केवल 2.14 लाख जांच हुई। इसलिए वहां कोरोना के केस पता नहीं चले। तमिलनाडु में चुनाव होते शुरू होते ही 20 से घटकर 13 लाख सैंपल पर जांच का आंकड़ा आ गया।