कोविड से जंग: परिवार और आपके लिए ‘कोरोना’ का मनोवैज्ञानिक दबाव हो जाएगा कम, अगर करेंगे ये पांच जरूरी काम

कोरोना संक्रमण 2.0 तेजी से अपना कहर बरपा रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस बार हालात ज्यादा खराब हैं। कोरोना की डरावनी खबरें लोगों को मनोवैज्ञानिक दबाव में ला रही हैं। वजह, इस बार बहुत कुछ अप्रत्याशित हो रहा है। लोगों को लग रहा है कि जैसे उन्हें तैयारी का समय ही नहीं मिल सका है और उनके ‘अपने’ उनकी आंखों के सामने दम तोड़ रहे हैं। मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के डॉक्टर ओमप्रकाश कहते हैं, इस बार कोरोना ने लोगों को मनोवैज्ञानिक स्तर पर कमजोर बना दिया है। उन्हें दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। एक महामारी की पीड़ा और दूसरी दिमागी परेशानी।

 

सबसे बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव तो यही है कि लोग बिना संक्रमित हुए यह सोचने लगे हैं कि अगर मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो परिवार का क्या होगा। शमशान घाट या कब्रिस्तान के दिल दहलाने वाले फोटोग्राफ्स ने लोगों के दिमाग में कई तरह के भावी सवालों का एक पिटारा बना दिया है। बतौर डॉक्टर ओमप्रकाश, पांच सूत्रीय फार्मूला है, जिसमें परिवार-रिश्तेदार, नकदी, क्राई फॉर हेल्प, जीवन के राज और अंतिम वक्त जैसी बातें शामिल हैं। अगर आप इन बातों का पालन करेंगे तो काफी हद तक कोरोना के नए कहर के मनोवैज्ञानिक दबाव से मुक्त हो जाएंगे।

दोस्तो-रिश्तेदारों से करते रहें बातचीत
मनोचिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश के मुताबिक, पहली बात ये है कि कोरोना संक्रमण 2.0 में लोग यह सोच रहे हैं कि उन्हें ये बीमारी हो तो क्या उनका परिवार झेलने की स्थिति में है। अगर आप गौर करें तो पिछले साल ऐसा नहीं था। उस वक्त लोगों को यह लगता था कि संक्रमित होने की स्थिति में चारों तरफ से मदद मिलेगी। इस दफा बहुत कुछ अचानक हो रहा है। लोगों को लगता है कि उन्हें तैयारी करने का भी वक्त नहीं मिला। जब कोई व्यक्ति अपने आस पड़ोस में कोरोना संक्रमण की वजह से मारे गए किसी व्यक्ति के बारे में सोचता है तो दिमाग में एक तस्वीर उभरने लगती है। वह सोचता है कि अगर कल मेरे साथ ऐसा घटित हुआ तो अंतिम वक्त में कौन साथ आएगा। ये बातें उसे विचलित करने लगती हैं। वह सोच उसके दिमाग पर हावी न हों, इसके लिए अच्छा है कि वह लगातार अपने परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों से बातचीत करता रहे। बीमारी का कोई छोटा मोटा लक्षण भी नजर आए तो तुरंत बता दें। समय रहते टेस्ट कराकर डॉक्टर के पास चला जाए।

घर में कैश पर्याप्त मात्रा में रखें
दूसरी बात, कोरोना संक्रमण के काल में व्यक्ति, कोई बात छिपाए नहीं। मनी मैटर, ये सभी के लिए अहम है। मीडिया में ऐसी खबरें आती रहती हैं कि फलां मरीज को अस्पताल में बेड नहीं मिला। कहीं एंबुलेंस देरी से पहुंची तो कहीं ऑक्सीजन नहीं थी। अस्पताल के अंदर ही नहीं घुसने दिया गया। इससे कोविड संक्रमित व्यक्ति परेशान होता है और परिवार पर भी मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ता है। अच्छा यही होगा कि हर घर में कैश पर्याप्त मात्रा में रहे। इससे कई तरह की जरुरतें पूरी हो जाती हैं।

संपर्क में रहें
तीसरा, स्पोर्ट सिस्टम को लेकर तैयारी पूरी रखें। जैसे ‘क्राई फॉर हेल्प’ की तर्ज पर सभी के संपर्क में रहें। रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही सगे संबंधियों को बता दें। पता नहीं कौन किस राह पर मददगार साबित हो जाए। साथ ही, खुद को टूटने वाली स्थिति से बचाए रखें। होनी अनहोनी के लिए तैयार रहें। इससे किसी भी व्यक्ति का मनोवैज्ञानिक पक्ष मजबूत रहता है। अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो पहले से तैयार परिवार, दोस्त और रिश्तेदार तुरंत मदद के लिए आगे कदम बढ़ा सकते हैं।

सूचनाएं करें साझा
चौथी बात, जो एकल और छोटे परिवारों के लिए बहुत जरूरी है। घर में पति-पत्नी को सभी तरह की लेनदारी या देनदारी का पता होना चाहिए। परिवार में किसी सदस्य के नाम पर लॉकर है तो वह बात भी साझा की जाए। जिस जगह पर वे लोग काम करते हैं, वहां अधिकारिक तौर पर सूचना देते रहें। पड़ोसी का साथ लेने में झिझके नहीं। मेरे बाद परिवार को कौन संभालेगा, ऐसी बातें दिमाग से निकाल दें। अगर ये सब करते हैं तो बीमारी का मनोवैज्ञानिक दबाव कम हो जाएगा।

होम आइसोलेशन
पांचवीं बात है होम आइसोलेशन की। इसे बहुत से लोग घर पर बैठना समझ लेते हैं। वे डॉक्टर की सलाह नहीं लेते। वे सोचते हैं कि रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है, तो अब घर पर आराम करेंगे। जब तीन-चार दिन बाद वायरस असर दिखाने लगता है और तबीयत बिगड़ जाती है तो डॉक्टर की याद आती है। नतीजा, उस समय हालत इतनी खराब हो जाती है कि जान जोखिम में लगने लगती है। किसी भी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण पता चलते ही दवा शुरू कर देनी चाहिए। अगर सही टाइम पर दवा मिल जाती है तो बीमारी से उबरने में काफी मदद मिलती है। कई जगह पर डॉक्टर रिपोर्ट आने का इंतजार करने की बात कह देते हैं, तो भी आपको उनसे एहतियातन पर्चे पर दवा लिखवा लेनी चाहिए। अगर डॉक्टर ये कहता है कि अभी केवल आराम कर लें तो आपको केस हिस्ट्री पूछनी चाहिए। दवा शुरू करने का इंतजार जानलेवा हो सकता है।

 

 

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