लखनऊ: श्मशान हुए फुल तो अंतिम संस्कार के लिए ढूंढ़ ली नई जगह, दो घाटों पर 173 चिताएं जलीं
रोज हो रही मौतों से श्मशान घाटों पर अंत्येष्टि के लिए बढ़ते इंतजार से होने वाली परेशानियों से बचने के लिए लोग दाह संस्कार के लिए नए स्थान खोज रहे हैं। लखनऊ खदरा के बैरियर नंबर-2 के पास गोमती नदी के किनारे लोग अंतिम संस्कार करने लगे हैं। बताया जा रहा है कि इनमें कोविड के लक्षणों वालों की मौत वालों का भी अंतिम संस्कार हो रहा है। कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन हुए बिना हो रहे ऐसे अंतिम संस्कारों से संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है।
यहां मौजूद लोगों ने बताया कि कभी यहां एकाध शवों का अंतिम संस्कार हुआ करता था, पर 1-2 दिन से सुबह से लेकर रात तक कई शव जलाए जा रहे हैं। पास में स्थित एक मंदिर के पुजारी यहां अंतिम संस्कार करवाते हैं। जबकि लकड़ी आदि बाजार से खरीद कर लाते हैं। ऐसे लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बनता है इस सवाल पर लोगों ने बताया कि स्थानीय पार्षद से लिखवाते हैं या एफिडेविट बनवा लेते हैं। शपथपत्र की मदद से नगर निगम से प्रमाण पत्र बन जाता है।
वहीं, कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच शुक्रवार को श्मशान घाटों पर पहुंचे शवों का आंकड़ा बृहस्पतिवार की तुलना में कुछ कम तो रहा, पर डेढ़ सौ के पार रहा। शुक्रवार शाम छह बजे तक 173 शव अंतिम संस्कार के लिए शहर के दो प्रमुख श्मशान स्थलों पर पहुंचे।
बैकुंठधाम और गुलाला घाट पर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचे 173 शवों में 60 संक्रिमतों के बताए गए। बृहस्पतिवार को जहां सामान्य शवों की संख्या 122 थी तो वहीं शुक्रवार को यह 113 रही। ऐसे में शुक्रवार को सामान्य मौतें कम रहीं।
हरित और विद्युत शवदाह और बढ़ेंगे
बैकुंठधाम की तरह ही गुलाला घाट पर दो हरित शवदाह गृह बनाए जाएंगे। इसके अलावा दोनों घाटों पर तीन विद्युत शवदाह गृह और बनाए जाएंगे। इनमें बैकुंठधाम पर दो और गुलाला घाट पर एक रहेगा। इसे लेकर नगर निगम की ओर से टेंडर भी जारी किया जा रहा है। प्रयास है कि 15 से 20 दिन में यह काम पूरा करा लिया जाए। इसके अलावा दोनों घाटों पर पांच ग्रीन मैकेनाइज्ड शवदाह गृह भी लगाने का काम किया जा रहा है।