हड़कंप: पहली बार दिल्ली के अस्पतालों में 10 हजार से ज्यादा कोरोना मरीज भर्ती, दो दिन में ही सांस लेने में हो रही दिक्कत
कोरोना संक्रमण की चौथी लहर का सामना कर रही दिल्ली में पहली बार 10 हजार से ज्यादा मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। बार बार बिस्तर बढ़ाने के बाद भी इन अस्पतालों में पूर्ति नहीं हो पा रही है। स्थिति यह है कि सोशल मीडिया पर लोग अस्पतालों में बिस्तर खाली होने की जानकारी मांग रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष 21 नवंबर को राजधानी के अस्पतालों में सबसे ज्यादा 9,522 कोरोना मरीज भर्ती थे। इसके बाद गुरुवार को यह आंकड़ा पहली बार 10,666 तक पहुंचा है।
जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार 115 प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बिस्तर आरक्षित कर चुकी है। वहीं आठ अस्पतालों को पूरी तरह से कोरोना मरीजों के लिए घोषित किए जा चुके हैं। इन मरीजों के इलाज के लिए 15,329 बिस्तर आरक्षित किए हैं जिनमें से 10,666 भर चुके हैं। 4,663 बिस्तर अभी अस्पतालों में खाली पड़े हैं।
राजधानी में इस समय 3,309 मरीज आईसीयू और वेंटिलेटर पर हैं। इनमें से 1,079 मरीज वेंटिलेटर पर हैं और 2,230 मरीज आईसीयू में इलाज करा रहे हैं। दिल्ली के अस्पतालों में 1,250 वेंटिलेटर हैं लेकिन इनमें से 1,079 पर मरीज हैं। केवल 171 वेंटिलेटर खाली पड़े हैं। ठीक इसी तरह आईसीयू बिस्तरों का हाल है। 2,547 में से 2,230 भर चुके हैं और 317 खाली हैं। 72 अस्पतालों में सभी वेंटिलेटर हाउसफुल हो चुके हैं। जबकि 81 अस्पतालों में एक भी आईसीयू बिस्तर खाली नहीं है।
दरअसल इस बार कोरोना का संक्रमण कितनी तेजी से फैल रहा है इसका अंदाजा अप्रैल में आए नए मामलों से लगाया जा सकता है। इसी माह 1 से 14 अप्रैल के बीच 14 दिन में दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा नए केस दर्ज हुए हैं। जबकि 11 से 14 अप्रैल के बीच कुल 53,015 केस दर्ज किए गए। इसी तरह 1 से 14 अप्रैल के बीच कोरोना से 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 250 से अधिक मौतें बीते तीन दिन में हुई हैं।
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने अपनी 60 वर्षीय मां की तबियत खराब होने का हवाला देते हुए राजधानी के अस्पताल में बिस्तर की मांग की। वहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन न मिलने की जानकारी देते हुए लोगों से अपील की है कि अगर उनके संपर्क में कोई जानकारी है तो कृप्या साझा करें। कुछ पोस्ट ऐसी की जा रही हैं जिनमें कहा जा रहा है कि दिल्ली कोरोना एप पर बिस्तर खाली दिखाए जा रहे हैं लेकिन अस्पतालों में उन्हें बिस्तर न होने का बोलकर वापस कर दिया जा रहा है।