कोरोना पर बड़ा शोध : कोरोना के बदले स्वरूप को पहचान नहीं पा रही एंटीबॉडी, कांटे जैसे दिखने वाले स्पाइक्स में बदलाव
फरवरी में कोरोना के मामले कम हो गए थे, लेकिन मार्च के पहले सप्ताह से ही वायरस तेजी से पांव पसार रहा है। यह वायरस के बदले स्वरूप (म्यूटेशन) के कारण हुआ है। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) की मॉलीक्यूलर डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च लेबोरेटरी के साइंटिस्ट सी (रिसर्च ऑफिसर) डॉ. रवि कुमार चौधरी ने संस्थान में चल रहे शोध के हवाले से कई बड़ी जानकारियां दी हैं कि आखिर क्यों इतना तेजी से कोरोना पूरे देश में बढ़ रहा है।
डॉ. रवि कुमार चौधरी ने संस्थान में चल रहे शोध के हवाले से बताया कि वायरस पर कांटे जैसे दिखने वाले स्पाइक्स के बदले स्वरूप से व्यक्ति की एंटी बॉडी काम नहीं कर पा रही और वायरस फेफड़ों को संक्रमित कर रहा है। इससे तेजी से संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में फैल रहा है। उन्होंने बताया कि विदेश से आने वाले 70 लोगों में से 10 और स्थानीय 40 लोगों के सैंपल से किए गए शोध में वायरस में बदलाव दिखाई दिया।
एक वर्ष से अधिक समय से वायरस में लगातार बदलाव हुए, लेकिन यह घातक नहीं था। मार्च के बाद बदलाव से मरीज की शरीर की एंटीबॉडी उसे ठीक तरह से पहचान नहीं पा रही और वायरस फेफड़े की कोशिकाओं को तेजी से संक्रमित कर रहा है। इस वजह से वायरस अधिक घातक हो रहा है। वहीं, जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. राकेश कुमार गुप्ता और रिसर्च ऑफिसर डॉ. रवि का कहना है कि जिन लोगों को वैक्सीन लगी है, उनकी भी एंटीबॉडी को वायरस स्वरूप में बदलाव से धोखा देकर संक्रमित कर रहा है। हालांकि, वैक्सीन की एंटीबॉडी बाद में इसके असर को कम करती है।
पिछले तीन दिनों में बढ़ी संक्रमण की दर
जिम्स में तीन दिनों से प्रतिदिन 4800 की औसत से कोविड सैंपल आ रहे हैं। इनमें गौतमबुद्ध नगर के अलावा गाजियाबाद, हापुड़, सहारनपुर से जांच के लिए सैंपल आ रहे हैं। इनमें गौतमसबुद्ध नगर और सहारनपुर से अधिक मामले आ रहे हैं।
मृत्यु दर भी बढ़ने की संभावना
वायरस में बदलाव से संक्रमण बढ़ रहा है। वहीं, एंटीबॉडी के ठीक ढंग से कार्य नहीं करने से आगे चलकर मृत्युदर पिछले वर्ष से अधिक होने की संभावना है। उन्होंने इसके मरीजों को बेहतर इम्युनिटी वाले भोजन और दवा के अलावा दिन में कई बार भाप लेने को फायदेमंबद बताया है।