ज्ञानव्यापी मस्जिद का एएसआई सर्वे करने के आदेश को सुन्नी वक्फ बोर्ड देगा चुनौती
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सिविल कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुन्नी वक्फ बोर्ड हाईकोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। लंबे वक्त से चले आ रहे प्रकरण में पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए सिविल कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पूरे मामले की जिम्मेदारी सौंपी है और अपने खर्च पर 5 लोगों की टीम बनाकर प्रकरण में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश जारी किया हैं।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने कहा है कि एएसआई द्वारा मस्जिदों की जांच की प्रथा को रोकना होगा। हम इस अनुचित आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उतर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर अहमद फारूकी ने कहा कि हमारी समझ स्पष्ट है कि इस मामले को पूजा के स्थान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 द्वारा रोक दिया गया है। उपासना अधिनियम को अयोध्या के फैसले में सुप्रीम कोर्ट की 5 जज संविधान पीठ ने बरकरार रखा है। ज्ञानवापी मस्जिद की स्थिति, किसी तरह के प्रश्न से परे है।
उन्होने कहा ‘कानूनी सलाह के अनुसार कह सकते हैं कि सर्वेक्षण का आदेश उचित नही है क्योंकि तकनीकी प्रमाण केवल कुछ मूलभूत तथ्यों को ही पूरा कर सकते हैं। इस मामले में पहले से कोई सबूत पेश नहीं किया गया है, कि मस्जिद के स्थल पर पहले से मौजूद मंदिर था। अयोध्या के फैसले में भी, एएसआई की खुदाई का कोई फायदा नहीं हुआ। एएसआई को इस बात का सबूत नहीं मिला कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़ने पर बनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने विशेष रूप से देखा है कि ऐसा कोई सबूत नहीं था।