कोरोना टीकाकरण: आयु सीमा हटाने के लिए तैयार नहीं है मोदी सरकार, जानिए क्या है वजह

भारत इस समय कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। देश में संक्रमण रिकॉर्ड रफ्तार से फैल रहा है और रोजाना एक-एक लाख से अधिक नए मरीज सामने आ रहे हैं। वहीं, इस संकट से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान भी जोर-शोर से जारी है। लेकिन, टीकाकरण आयु वर्ग के आधार पर हो रहा है।

 

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के सभी नागरिकों के लिए कोरोना के टीके की पैरवी की। उन्होंने कहा कि टीके की जरूरत को लेकर बहस करना हास्यास्पद है और हर भारतीय सुरक्षित जीवन का मौका पाने का हकदार है। जानिए कि इस मांग के पीछे के क्या कारण बताए जा रहे हैं और सरकार इसे क्यों खारिज कर रही है।
टीकाकरण सभी के लिए शुरू करने की मांग क्यों?
कुछ राज्यों की सरकारों ने केंद्र से टीकाकरण के लिए आयु की शर्त हटाने की मांग की है। इनमें से कुछ ने 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण की अनुमति मांगी है तो कुछ ने 25 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए।  इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को टीकाकरण करवाने की अनुमति दी जानी चाहिए। आइए जानते हैं कि इस मांग के पीछे के क्या कारण हैं और ये कारण कितने सही हैं।
दूसरी लहर से निपटने के लिए हटे आयु सीमा: भारत में कोरोना की दूसरी लहर अधिक आक्रामक प्रतीत हो रही है। अब सामने आ रहे दैनिक मामले पहले के सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर रहे हैं। सीरो सर्वे से पता चला है कि देश के कुछ इलाकों में लोगों के शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी ज्यादा हैं तो कुछ इलाकों में कम हैं। ऐसे में अगर सबके टीकाकरण की अनुमति दे दी जाती है तो दूसरी लहर से निपटना आसान हो सकता है।
जल्द पूरा कर पाएंगे टीकाकरण का लक्ष्य: टीकाकरण को सबके लिए शुरू करने की मांग करने वाले इसके पीछे एक कारण यह बता रहे हैं कि इससे हम टीकाकरण का लक्ष्य तेजी से पूरा कर पाएंगे। सरकार ने पहले चरण में सभी स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन, यह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। ऐसे में बाकी लोगों को टीका लगवाने में देरी हो रही है, जो नुकसानदायक साबित हो सकता है।
वैक्सीन की बर्बादी पर लगा पाएंगे लगाम: उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया है कि न लग पाने की वजह से कई टीके बर्बाद हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना की सात फीसदी वैक्सीन इसी वजह से बर्बाद हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टीकाकरण के लिए आयु की सीमा को हटा लिया जाता है तो इस वैक्सीन बर्बादी को काफी हद तक रोका जा सकता है।
दूसरे देशों द्वारा उठाए गए कदमों से सबक लें: यह मांग करने वाले कह रहे हैं कि भारत को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से सबक लेना चाहिए। इन देशों में टीकाकरण की रफ्तार काफी तेज है और यहां की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को टीका लगाया जा चुका है। इसी का परिणाम है कि वहां महामारी का असर अब धीरे-धीरे कम होता दिख रहा है।
सरकार ने खारिज किया सुझाव, बताई ये वजह
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने मंगलवार को इस बारे में कहा कि ऐसे टीकाकरण अभियानों के दो लक्ष्य होते हैं। पहला बीमारी से होने वाली मौतों को रोकना और दूसरा स्वास्थ्य व्यवस्था बचाए रखना। लक्ष्य यह नहीं है कि जो खरीद सकते हैं उन्हें पहले टीका मिले बल्कि यह है कि पहले टीका उन्हें मिले जिन्हें जरूरत है। आइए जानते हैं कि सरकार के इस रुख के पीछे की क्या वजहें हैं।
पहले उसे मिले वैक्सीन जिसे जरूरत है: सरकार का कहना है कि हमारी प्राथमिकता जरूरतमंदों का टीकाकरण पहले करना है। अगर 18 साल से अधिक आयु के लोगों के लिए टीकाकरण अभी शुरू कर दिया जाता है तो ऐसी स्थिति बन सकती है कि अधिक उम्र वाले टीका लगवाने से रह जाएं, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। वहीं, आंकड़े भी कहते हैं कि कोरोना महामारी 45 वर्ष से कम आयु वालों के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं है।
घर-घर जा कर नहीं लगा सकते टीका: सरकार का तर्क है कि वैक्सीन अभी नई है और इसे घर-घर जाकर लगाने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा हमारे पास मौजूद नहीं है। चूंकि वैक्सीन भी रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुई है ऐसे में इसके कुछ दुष्प्रभाव भी सामने आ सकते हैं। हालांकि, देश में अभी ऐसा कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार इसे लेकर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है।
वैक्सीन को लेकर झिझक का मामला: टीकाकरण के शुरुआती दौर में इसे लेकर लोगों ने आपत्तियां भी दर्ज कराई थीं। यहां तक कि कई चिकित्सकों और अग्रिम मोर्चे के कर्मियों ने भी टीका लगवाने से इनकार कर दिया था। अब जब चिकित्सकों के लिए पंजीकरण बंद हो गया है तब कई लोग टीका लगवाना चाह रहे हैं। केंद्र सरकार ऐसी नौबत जन सामान्य के बीच नहीं आने देना चाहती है।
इतनी आबादी की कैसे करेंगे निगरानी: सरकार का लक्ष्य 80 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने का है। एक टीकाकरण में दो खुराकें लगाई जा रही हैं। ऐसे में सरकार को लक्ष्य हासिल करने के लिए टीके की 160 करोड़ खुराकों की जरूरत है। सरकार का कहना है कि अगर सभी के लिए टीकाकरण की अनुमति दे दी जाती है तो इतनी बड़ी आबादी की निगरानी कर पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।
कम आयु वालों के लिए मास्क ही टीका: दरअसल, कम आयु वाले लोगों के लिए कोरोना महामारी इतनी खतरनाक बीमारी नहीं है। यह बीमारी उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करती है जो विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं। कम आयु के लोग अगर मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते रहें, तो वह काफी हद तक बिना वैक्सीन के ही कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रह सकते हैं।

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