गाजीपुर जिले में गली के गुंडे की मानिंद शुरू हुआ था मुख्तार अंसारी के जरायम का सफरनामा

मुख्तार अंसारी : एक विवरण

जन्म : 30 जून 1963

जन्मस्थान : युसुफपुर मुहम्मदाबाद, गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)

व्यवसाय : अपराध, राजनीति, गैंगस्टर

पिता : सुबहानउल्लाह अंसारी

माता : बेगम राबिया

पत्नी : अफ्शां अंसारी (1989 में विवाहित )

बच्चे : 1. अब्बास अंसारी (नेशनल शूटर), 2. उमर अंसारी (छात्र)

बड़े भाई : सिबगतुल्लाह अंसारी (पूर्व विधायक), अफजाल अंसारी (सांसद )

संपत्ति : 22 करोड़ (2017 के हलफनामे के अनुसार)

शिक्षा : एमए

अपने विरोधियों को दिन दहाड़े गैंगवार में मरवा कर दशकों से पूर्वांचल में आतंक और दहशत पैदा करने वाले मऊ विधायक मुख्तार अंसारी की शुरुआत गली के गुंडे की तरह ही हुई थी। क्षेत्र के लोगों में अपना वर्चस्व जमाने की शुरुआत उसने सिनेमा घर के बाहर टिकट ब्लैक करने से की थी। अपने बड़े भाई को वहीं साइकिल स्टैंड का ठेका दिलाकर लोगों पर धौंस जमाने वाला मुख्तार धीरे-धीरे बराह-जरायम रेलवे, कोयला रैक, स्क्रैप, मोबाइल टावरों पर डीजल आपूर्ति, मछली व्यवसाय से लेकर सड़क, नाले-नाली, पुल तक के सभी व्यावसायिक ठेकों पर अपने लोगों को काबिज करा बैठा। दहशत का आलम यह कि पूर्वांचल में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का ठेका लेने में देशी-विदेशी कंपनियों ने किनारा कर लिया। अब जब अपराध सफाए के अपने संकल्प के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसके आर्थिक साम्राज्य को ढहाना शुरू किया है तो लोगों को डराने वाले मुख्तार के डर को पूरी दुनिया देख रही है।

क्रिकेट का बढ़िया खिलाड़ी रहा मुख्तार जमींदार घराने का भले ही रहा, मगर पैसों और वर्चस्व के लिए इसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। छात्र जीवन में ही इसे साथ मिल गया साधू सिंह और मकनू सिंह जैसे कुख्यात अपराधियों का, जिन्हें इसने अपना आपराधिक गुरु माना।

हरिहरपुर के सच्चितानंद राय की हत्या में आया पहली बार नाम

मुहम्मदाबाद गोहना क्षेत्र के मुड़ियार गांव के सच्चितानंद राय दबंग प्रभाव वाले थे। क्षेत्र की राजनीति में भी उनका दखल था। इधर नगर पालिका के चेयरमैन रह चुके कम्युनिस्ट नेता मुख्तार के वालिद सुभानुल्लाह अंसारी के राजनीतिक विरोधी भी थे वह। पिता के बाद बड़े भाई अफजाल की सियासी राह में एक बड़े रोड़ा थे सच्चितानंद राय। 1988 में उनकी दिनदहाड़े निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई। इस हत्या में पहली बार अंसारी बंधुओं का नाम सामने आया। सच्चितानंद की हत्या ने इनके आपराधिक वर्चस्व की शुरूआत कर दी। फिर तो साधू सिंह, मकनू सिंह के गिरोह में शामिल हुए मुख्तार के नाम एक से बढ़कर एक बड़ी गैंगवार और हत्या, फिरौती, रंगदारी की वारदातों का सिलसिला चल पड़ा।

त्रिभुवन सिंह और बृजेश सिंह गिरोहों से टकराहट में अनेक बार पूर्वांचल की धरती खून से लाल हुई। मऊ दंगा, भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के बाद इसके दहशत की गूंज पूरे देश ने सुनी मगर तत्कालीन सरकारों के वोट बैंक की राजनीति के चलते इसे मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण ने जेल में भी इसे ठाट की जिंदगी मुहैया कराई और यह वहीं से अपने गिरोह का संचालन बखूबी करता रहा। पूरे देश में मजबूत आपराधिक नेटवर्क वाले इस गैंगस्टर ने अपने हर काम को बड़ी ही सफाई से अंजाम दिया और सजा से बचता रहा। रासुका, मकोका, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट जैसे में कानूनों में पाबंद रह चुके मुख्तार पर 46 मुकदमे दर्ज हैं।

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