राहुल गांधी के लिए अग्नि परीक्षा है केरल चुनाव, यहीं से तय होगा उनका भविष्य!

कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने केरल विधानसभा चुनाव (Kerala Assembly Election) में जीत दर्ज कराने के लिए ताकत झोंक दी है. केरल में वह लगातार जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं. दरअसल, केरल चुनाव राहुल के लिए बेहद अहम हैं. इस चुनाव का असर उनके राजनीतिक करियर पर काफी ज्यादा पड़ेगा. बीते रविवार को चुनाव अभियान के आखिरी दिन कांग्रेस नेता अपने लोकसभा क्षेत्र वायनाड (Waynad) स्थित थिरुनली मंदिर पहुंचे. अब यह साफ है कि कांग्रेस को 140 सीटों वाली केरल विधानसभा में सत्ता वापसी करने के लिए काफी मदद चाहिए. इतना ही नहीं यह चुनाव राजनीति में कांग्रेस के लिए भी जरूरी है.

हालांकि, केरल में इस बार का चुनाव कांग्रेस के लिए आसान नहीं है. यहां मुख्यमंत्री पिनराई विजयन लोगों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं. कोविड महामारी को संभालने को लेकर उनकी तारीफ भी होती रही है. कांग्रेस को यह पता था कि केरल में मजबूत चुनौती पेश करने के लिए उसे तेजी से काम करना होगा. राहुल के हाथों में अभियान की कमान के साथ पार्टी ने ऐसा किया भी. इसके बाद कांग्रेस नेता के उत्तर-दक्षिण वाले बयान ने नया विवाद खड़ा दिया.

राहुल ने संकेत दिए थे कि केरल में राजनीति ज्यादा बेहतर है. इसके जरिए वे यह दिखाने की कोशिश भी कर रहे थे कि अब वे दक्षिण से आते हैं. यहां के स्थानीय नेता लगातार इस बात पर चिंता जाहिर करते रहते हैं कि उन पर उत्तरी संस्कृति थोपी जा रही है. इसके अलावा राहुल के पहनावे में भी बदलाव आया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 20 में से 15 सीटें जीती थीं. वहीं, विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर आलोचकों ने किसी और से ज्यादा राहुल पर निशाना साधा.

राहुल और कांग्रेस की मुश्किलें
उस दौरान कांग्रेस पार्टी के अंदर ही परेशानियों का सामना कर रही थी. महासचिव केसी वेणुगोपाल राव भले ही राहुल के करीबी हों, लेकिन केरल यूनिट उन्हें स्वीकार नहीं कर रही थी. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चंडी और रमेश चेन्नीथला के बीच विवाद जारी थी. इसके अलावा पार्टी में उन लोगों के बीच भी नाराजगी थी, जिन्हें टिकट नहीं मिला. अब ये परेशानियां कांग्रेस की बड़ी रुकावट बन सकती हैं. अगर कांग्रेस केरल में जीतती है, तो यह उसके शासन वाला 6वां राज्य होगा. फिलहाल पार्टी पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता में है. (महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन का हिस्सा है).

2019 में पार्टी के गढ़ अमेठी में हारने और अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद केरल के वायनाड ने ही उनकी मदद की. अब सवाल है कि क्या यह सीट एक बार फिर उन्हें बचाने आएगी. इसके अलावा राज्य में हार उनकी अध्यक्ष पद की दावेदारी को और मुश्किल बना सकती है. पार्टी में कुछ लोग उन्हें शीर्ष पद पर चाहते हैं, लेकिन कुछ बदलाव की मांग कर रहे हैं. वहीं, नाराजगी जताने वाला 23 नेताओं का समूह 2 मई को नतीजों का इंतजार कर रहा है. अगर राहुल जीत जाते हैं, तो यह 2024 में उनकी दावेदारी मजबूत करेगी. बहरहाल, राहुल के लिए सबसे बड़े सवाल यही हैं कि- अगर केरल नहीं तो, क्या? अगर अब नहीं, तो कब?

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