काले हिरण से गुलजार रहने वाला वेटलैंड अब वीरान
ग्रेटर नोएडा। 12 साल पहले जिले का सबसे बड़ा वेटलैंड दादरी के बील अकबरपुर गांव में था। अब यही वेटलैंड एक छोटे से तालाब में तब्दील हो गया है। वेटलैंड के 75 फीसदी क्षेत्र पर आसपास के लोगों ने मिट्टी डालकर कब्जा कर लिया है। यही कारण है कि कभी काले हिरण व पक्षियों से गुलजार रहने वाला वेटलैंड अब वीरान हो चुका है। दादरी के बील अकबरपुर स्थित वेटलैंड में 12 साल पहले तक बड़ी तादाद में काले हिरण और पक्षी नजर आते थे।
सर्वे ऑफ इंडिया ने भी उस समय सर्वे किया था। जिसे 2014 में एनजीटी ने देखा। सर्वे के मुताबिक, वहां पर यू आकार की वॉटर बॉडी थी। एनजीटी ने वन विभाग को उसे संरक्षित करने का निर्देश दिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अब वेटलैंड का विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। कभी-कभार इक्का-दुक्का काले हिरण ही खेतों में घूमते नजर आते हैं। जबकि, पक्षी तो गायब हो चुके हैं। इस समय मौके पर छोटा सा तालाब बचा है।
70 हेक्टेयर जमीन में फैला था
पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड़ ने बताया कि बील अकबरपुर का वेटलैंड करीब 70 हेक्टेयर जमीन में फैला था। वर्तमान में दलदली हिस्से पर मिट्टी का भराव करके समतल कर दिया गया है। कुछ हिस्सा बिल्डरों तो कुछ निजी शिक्षण संस्थानों के हिस्से में आ गया है। इसकी शिकायत एनजीटी में भी की गई थी। एनजीटी ने सुनवाई कर वन विभाग को बचे हुए हिस्से का संरक्षण करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
विक्रांत ने बताया कि वर्ष 2009 में यह जिले का सबसे बड़ा वेटलैंड था। वर्ष 1988-89 में यह वेटलैंड काले हिरण, जंगली खरगोश समेत अन्य दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों की पनाहगाह थी। वहीं, बारहसिंहा व अन्य जानवर भी दिख जाते थे। वर्ष 2011 में काले हिरण की संख्या 300 थी। 2016 तक यह संख्या घटकर 30 से भी कम रह गई। वहीं, 2013-2014 तक जंगली खरगोशों की संख्या 50 से अधिक थी, लेकिन अब 10 के करीब ही बचे हैं।
दो साल बने तालाब, वह भी सूखे
बील अकबरपुर के वॉटर बॉडी को बचाए रखने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से दो साल पहले दो छोटे तालाब बनवाए गए थे, लेकिन इनमें पानी ही नहीं पहुंचा। उल्टे वेटलैंड में गांव की नालियों का पानी जाता रहता है। समाजसेवी डॉ. आनंद आर्य ने भी इस मसले पर मुख्यमंत्री को ट्वीट कर वेटलैंड को संरक्षित कराने की मांग की है।