बंगाल: घरों में काम करने वाली मेड को बीजेपी ने दिया टिकट, एक महीने की छुट्टी ले कर रहीं चुनाव प्रचार

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगरमी तेज है लेकिन सभी की निगाहें पश्चिम बंगाल पर टिकी हैं। मुख्यमंत्री जहां ‘खेला होबे’ के नारे के साथ कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में तो वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ‘परिवर्तन’ का सपना देख रही है। बंगाल की सत्ता के लिए भारतीय जनता पार्टी हर सम्भव प्रयास में जुटी है। पार्टी ने इसके लिए जहां कई दिग्गजों को मैदान में उतारा है। वहीं घरों में मेड का काम करने करने वाली एक महिला को भी अपना उम्मीदवार बनाकर हैरान कर दिया है।

घरों में काम कर करती हैं ये बीजेपी उम्मीदवार

घरों में मेड का काम कर महीने के 2500 कमाने वाली कलिता माझी को पूर्व बर्धमान के आउसग्राम विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। मांझी के पति सुब्रतो माझी प्लंबर का काम करते हैं। चुनाव लड़ने के लिए कलिता ने डेढ़ महीने की छुट्टी ली है और चुनाव प्रचार में जुट गई हैं।

छुट्टी लेकर उतरीं चुनाव प्रचार में

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार कलिता ने कहा- उन्हें टिकट मिलेगा, इसका अंदाजा भी नहीं था। अभी तक वो हैरान है। वे कहती हैं कि भाजपा में कार्यकर्ताओं की कद्र है, तभी तो वो उम्मीदवार है। कलिता ने बताया कि गुरुवार को उन्होंने रोजाना की तरह मेड का काम किया। शुक्रवार से छुट्टी लेकर प्रचार में उतर गई है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने ट्वीट कर कलिता को बधाई दी है।

क्या है कलिता का चुनावी मुद्दा?

कलिता का मानना ​​है कि नौकरानी होने से उन्हें आम आदमी के मुद्दों और गरीब परिवारों की दुर्दशा को समझने में मदद मिली है। अगर वह जीत जाती है तो उनके परिवार और पड़ोसियों को उम्मीद है कि वह विकास करेंगी। चुनाव में कलिता के लिए मुख्य मद्दा अपने गाँव के लोगों की मदद करने के लिए एक अस्पताल का निर्माण करना है जिन्हें अभी इलाज के लिए मुख्य बर्धमान शहर जाना पड़ता हैं। बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार के अवसरों जैसे अन्य मुद्दे भी उनकी सूची में हैं।

बीजेपी ने क्यों चुना कलिता को?

यह पहली बार है जब बीजेपी ने इस सीट से उम्मीदवार उतारा है। लोगों को मन में सवाल उठ रहे हैं कि बीजेपी ने कलिता को ही इस उम्मीदवारी के लिये क्यों चुना? दरअसल, कलिता की उम्मीदवारी के साथ, बीजेपी का लक्ष्य उनके गाँव के लोगों से जुड़ना है क्योंकि उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि लोगों को उनके साथ पहचान बनाने में मदद करेगी।

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