अभिभावकों की जेब होगी ढीली : स्कूलों की किताब-कॉपी 10-15 फीसदी तक महंगी

स्कूलों में अप्रैल से नए सत्र की शुरूआत होने जा रही है। नए सत्र की कॉपी-किताबों की कीमत अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ रही है। दरअसल कॉपी किताबों की कीमतों में 10-15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है।

नामी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के कॉपी किताबों के सेट की कीमत 11 हजार रुपये है। ऑनलाइन पढ़ाई के बावजूद अभिभावक इन्हें खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जबकि स्कूलों में निजी प्रकाशकों की बजाए केवल एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई कराने केनिर्देश दिए गए हैं।

स्कूलों में वार्षिक परीक्षाएं लगभग संपन्न हो गई हैं। ऐसे में रिजल्ट की तिथि के साथ-साथ अभिभावकों के पास किताब-कॉपियों के सेट लेने के संदेश आने लगे हैं। दक्षिणी दिल्ली के एक नामी स्कूल ने स्कूल काउंटर से किताबें लेने का संदेश भेजा है। जिसमें पहली से आठवीं तक केबच्चों की किताबों की कीमत लगभग 11 हजार है। जबकि दूसरी कक्षा की किताबों के लिए लगभग 7500 रुपये चुकने व यूनिफॉर्म काउंटर से यूनिफॉर्म लेने के लिए कहा गया है।

वहीं पूर्वी दिल्ली के एक अन्य स्कूल ने कॉपी किताबों के लिए 8,000 रुपये चुकाने का संदेश भेजा है। साथ ही यूनिफॉर्म लेने के लिए भी कहा है। अभिभावकों की मानें तो कोरोना काल के बावजूद कॉपी-किताबों की कीमतों में बीते साल की तुलना में 10-15 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।

अभिभावक वीना ने कहा कि दूसरी कक्षा का कॉपी-किताब का सेट बीते साल तक 6500 हजार तक का पड़ता था। इस बार 7500 रुपये चुकाने पड़ेंगे। जबकि बीते साल बड़ी कक्षाओं की किताबों के लिए 9 हजार रुपये चुकाए थे।

स्कूलों का कहना
एर्फोडेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन केअध्यक्ष लक्ष्य छाबडिय़ा कहते हैं कि अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ ना पड़े इसकेलिए अभिभावकों को कहा गया है कि वह सैकेंड हैंड किताब भी खरीद सकते हैं। वह चाहे निजी प्रकाशकों की हों या एनसीईआरटी की।

वह कहते हैं कि शिक्षा निदेशालय के इस साल आए ऑर्डर के अनुसार एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ानी है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि एनसीईआरटी की किताबें बाजार में मिलती नहीं हैं।

जहां तक यूनिफॉर्म खरीदने की बात है तो बीते साल ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान देखा गया कि बच्चे कक्षा लेने बैठ जाते थे लेकिन वह व्यवस्थित नहीं होते थे। ऐसे में अब जब बच्चे यूनिफॉर्म पहन कर ऑनलाइन पढ़ाई करेंगे तो स्कूल जैसा अनुशासन भी बनाया जा सकेगा।

दिल्ली पैरेटेंस एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम कहती हैं कि जब एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाने के आदेश दिए गए हैं, तो स्कूल इस को दरकिनार कर क्यों अभिभावकों से मंहगे दामों में किताबें खरीदने के लिए कह रहे हैं। कोरोना काल में भी स्कूल पैसा कमाने में लगे हैं।

अभी चूंकि ऑनलाइन पढ़ाई ही हो रही है तो एनसीईआरटी की डाउनलोड किताबों से भी पढ़ाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालय, सीबीएसई, एनसीईआरटी से हमारा अनुरोध है कि वह स्कूलों से एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाने के आदेश का पालन करने के लिए कहें।

 

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